यिन्गहुओ - 1 (YINGHUO - I ) |
फोबोस ग्रन्ट (Phobos Grunt ) |
यिन्गहुओ, चीन के द्वारा मंगल ग्रह के अध्ययन और अन्वेषण के उद्देश्य से छोड़ा गया प्रथम अंतरिक्ष प्रोब था. इसे कजाखस्तान के बैकोनुर कोस्मोड्रम से रूसी फोबोस ग्रन्ट सैंपल रिटर्न (मंगल के उपग्रह फोबोस के अध्ययन के उद्देश से) नामक अन्तरिक्ष यान के साथ-साथ 8 नवम्बर 2011 को प्रक्षेपित किया गया था. इस मिशन के प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार यिन्गहुओ को 2 वर्षों तक मंगल की परिक्रमा करनी थी तथा मंगल ग्रह की धरातलीय संरचना, वातावरण, आयनोस्फीयर और चुम्बकीय क्षेत्र का अध्ययन करना था. प्रक्षेपण के पश्चात् फोबोस ग्रन्ट को दो बार ईंधन जलन की प्रक्रिया पूर्ण करनी थी जिससे ये दोनों यान धरती के गुरुत्वाकर्षण से निकलकर मंगल की ओर निकल सकें. परन्तु दुर्भाग्यवश यह संभव नहीं हुआ और दोनों प्रोब्स कक्ष में ही उलझे रह गए. 17 नवम्बर को यिन्गहुओ को चीन की अंतरिक्ष संस्था द्वारा असफल घोषित कर दिया गया और 15 जनवरी 2012 को ये दोनों प्रोब्स धरती के वातावरण में पुनः दाखिल हुए और प्रशांत महासागर के ऊपर नष्ट हो गए.
यिन्गहुओ का अर्थ है – झिलमिलाता ग्रह जो कि मंगल ग्रह के लिए प्रयुक्त प्राचीन चीनी नाम है. यिन्गहुओ और फोबोस ग्रन्ट, चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन और रसियन स्पेस एजेंसी का संयुक्त अभियान था जिसके लिए 26 मार्च 2007 को दोनों संस्थाओं के मध्य एक समझौता हुआ था.
यिन्गहुओ – 1 का प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्य मंगल ग्रह के प्लाज्मा वातावरण और चुम्बकीय क्षेत्र की विस्तृत छानबीन करना, मंगल ग्रह में आयनों के छूट भागने की प्रक्रिया और उसके कारण की जांच करना तथा मंगल ग्रह पर चलने वाली धुल भरी आँधियों का निरीक्षण करना था.
इन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु इस प्रोब में चार उपकरण थे जिसमे एक प्लाज्मा पैकेज (जिसमे इलेक्ट्रान एनालाइजर, आयन एनालाइजर और मॉस स्पेक्ट्रोमीटर शामिल थे), फ्लक्सगेट मैग्नेटो मीटर, एक रेडियो ओकल्टेशन साउंडर और एक ऑप्टिकल इमेजिंग सिस्टम लगे थे.
अगर यह मिशन सफल होता तो मंगल के बारे में हमारे ज्ञान में अवश्य वृद्धि होती परन्तु एक छोटी सी तकनिकी खराबी के कारण यह मिशन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से ठीक तरह से आजाद नहीं हो पाया और एक शानदार मिशन का आगाज़ होते ही अंत हो गया.
यिन्गहुओ का अर्थ है – झिलमिलाता ग्रह जो कि मंगल ग्रह के लिए प्रयुक्त प्राचीन चीनी नाम है. यिन्गहुओ और फोबोस ग्रन्ट, चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन और रसियन स्पेस एजेंसी का संयुक्त अभियान था जिसके लिए 26 मार्च 2007 को दोनों संस्थाओं के मध्य एक समझौता हुआ था.
यिन्गहुओ – 1 का प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्य मंगल ग्रह के प्लाज्मा वातावरण और चुम्बकीय क्षेत्र की विस्तृत छानबीन करना, मंगल ग्रह में आयनों के छूट भागने की प्रक्रिया और उसके कारण की जांच करना तथा मंगल ग्रह पर चलने वाली धुल भरी आँधियों का निरीक्षण करना था.
इन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु इस प्रोब में चार उपकरण थे जिसमे एक प्लाज्मा पैकेज (जिसमे इलेक्ट्रान एनालाइजर, आयन एनालाइजर और मॉस स्पेक्ट्रोमीटर शामिल थे), फ्लक्सगेट मैग्नेटो मीटर, एक रेडियो ओकल्टेशन साउंडर और एक ऑप्टिकल इमेजिंग सिस्टम लगे थे.
अगर यह मिशन सफल होता तो मंगल के बारे में हमारे ज्ञान में अवश्य वृद्धि होती परन्तु एक छोटी सी तकनिकी खराबी के कारण यह मिशन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से ठीक तरह से आजाद नहीं हो पाया और एक शानदार मिशन का आगाज़ होते ही अंत हो गया.
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