जानुस (Janus) - शनि का उपग्रह (Saturn's Satelite) |
जानुस शनि ग्रह का छठवां ज्ञात चन्द्रमा है. इसकी कक्षा शनि से लगभग 15 लाख 1 हजार 472 किलोमीटर दूर स्थित है और इसका व्यास है 178 किलोमीटर.
इस उपग्रह का नामकरण जानुस के नाम पर हुआ है जिसके ऊपर जनवरी माह का नाम भी पड़ा है. मिथकों के अनुसार जानुस द्वार का देवता है जिसके सामने और पीछे दोनों ओर चेहरे हैं. जानुस की खोज का प्रथम श्रेय ओडोइन डाल्फस को दिया जाता है जिन्होंने इसकी खोज 1966 में की थी. उस समय लेकिन उन्हें यह तय नहीं था की ये जानुस है या एपिमैथ्युस (शनि का एक और उपग्रह). वर्ष 1977 में फाउंटेन और लार्शन ने यह साबित किया कि एपिमैथ्युस और जानुस दो अलग-अलग उपग्रह हैं. बाद में वायेजर ने भी इस बात को सिद्ध कर दिया की ये दोनों सह्कक्षीय अर्थात एक ही कक्षा में परिक्रमा करने वाले दो अलग-अलग उपग्रह हैं.
दोनों चंद्रमाओं की कक्षा की त्रिज्या में लगभग 50 किलोमीटर का ही अंतर है जो कि उनके व्यास से भी कम है. दोनों की कक्षीय गति भी लगभग समान है और दोनों में से जो निचे होता है, वह थोड़ी अधिक गति से धीरे-धीरे दूसरे से आगे बढ़ जाता है. जैसे ही दोनों चन्द्रमा एक दुसरे के पास आते हैं, दोनों में संवेग का आदान-प्रदान होता है जिससे ऊपर वाला चन्द्रमा नीचे की कक्षा में और नीचे वाला चन्द्रमा ऊपर की कक्षा में आ जाता है. इस तरह दोनों अपनी जगह की हर चार वर्ष में एक बार अदला-बदली कर लेते हैं.
जानुस पर क्रेटरों की भरमार है जिससे कुछ क्रेटर 30 किलोमीटर के व्यास से भी बड़े हैं. क्रेटर के अतिरिक्त इसकी सतह पर छोटी पर्वत श्रेणिया तथा घाटियाँ भी हैं. इसकी सतह प्रामेथ्युस से पुरानी लेकिन पेन्डोरा से नई है.
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