Friday, December 11, 2020

बृहस्पति और शनि का अनोखा मिलन - 400 वर्ष बाद

अन्तरिक्ष में घटित अनोखी घटनाओं की श्रृंखला में इस वर्ष 21 दिसम्बर की रात्रि को बृहस्पति और शनि के आभासी मिलन की घटना इन दिनों चर्चा में है. यहाँ हमें यह जानना आवश्यक है की सौरमंडल के ये दोनों विशालकाय गैसीय दानव ग्रह एक-दूसरे से औसतन करीब 40 करोड़ मील या 65 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर हैं और 21 दिसम्बर को 397 वर्ष बाद होने वाली (खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार इससे पहले 1623 ईस्वी में यह अद्भुत नजारा दिखा था) इस दुर्लभ घटना में भी ये दूरी लगभग बनी रहेगी. फिर इस चर्चा का क्या अर्थ है कि दोनों दानवी ग्रह पास आयेंगे. 



इस घटना का अर्थ है की आकाश में ये दोनों गृह एक दुसरे से केवल 0.1 अंश के अंतर में दिखेंगे. इनके बीच की वास्तविक दूरी में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होगा परन्तु ये अपनी कक्षाओं में इस स्थिति में होंगे की पृथ्वी से ये लगभग एक सीध में दिखाई देंगे. यह भी अनुमान हैं कि संभवतः ये इतने चमकीले हों कि ये दो अलग ग्रह एक तारे के सदृश्य दिखाई देवें. इसलिए विश्व में अनेक लोग इसे क्रिसमस का विंटर स्टार (शीत ऋतू का सितारा) भी कहकर पुकार रहे हैं. 


इस तरह की खगोलीय घटना को अन्तरिक्ष विज्ञानी 'ग्रहों के संयोजन' के नाम से पुकारते हैं लेकिन शनि और बृहस्पति के इस तरह के करीबी मिलन को वे 'महासंयोजन या ग्रेट कंजंक्शन' कहते हैं. ऐसा इसलिए है कि अन्य पड़ोसी ग्रहों की तुलना में बृहस्पति और शनि का यह मिलन दुर्लभा है और लगभग 400 वर्ष के बाद घटित हो रहा है. वैसे अगला महासंयोजन 60 साल बाद 15 मार्च 2080 को पुनः होगा. यहाँ यह भी जानना आवश्यक है कि प्रत्येक 20 वर्ष में शनि और बृहस्पति एक-दूसरे की कक्षा में पृथ्वी के सापेक्ष बहुत पास आ जाते हैं परन्तु तब भी रात्रि - आकाश में इनकी दूरी बनी रहती है. 

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