Saturday, December 6, 2014

ओरियन स्पेस कैप्सूल का सफल परीक्षण

ओरियन का परीक्षण लांच
ओरियन स्पेस कैप्सूल, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के द्वारा यूरोपियन सर्विस मोड्यूल के साथ मिलकर विकसित किया गया अत्याधुनिक अन्तरिक्ष यान है, जिसका 5 दिसम्बर 2014, दिन  शुक्रवार को सफलतापूर्वक पहली टेस्ट फ्लाइट पूरा किया गया। यह नासा के मंगल अभियान के लिए बहुत महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसकी मदद से मनुष्यों का  मंगल ग्रह पर जाना संभव हो सकेगा। ओरियन नामक यह कैप्सूल फ्लोरिडा स्थित केप कानावेरल से डेल्टा 4 रॉकेट के जरिए पृथ्वी से रवाना हुआ। हालांकि शुक्रवार को बिना किसी अंतरिक्ष यात्री के ही ‘ओरियन’ ने उड़ान भरी। इस मिशन को नाम ‘एक्सप्लोरेशन फ्लाइट टेस्ट 1’ (ईएफटी-1) का नाम दिया गया है। इस परीक्षण उड़ान के दौरान नासा के वैज्ञानिक यान के उष्मारोधी कवच, पैराशूट और अन्य प्रणालियों की जांच की गयी है , ताकि भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस की सैर कराने के बाद उन्हें धरती पर सुरक्षित वापस लाया जा सके।




इससे पहले गुरुवार को नासा व उसके सहयोगियों ने लॉन्चिंग के अपने पहले प्रयास को रद्द करने का फैसला किया था। डेल्टा-4 रॉकेट को केप केनेवरल स्थित एयरफोर्स स्टेशन से 5 दिसम्बर 2014 को भारतीय समयानुसार 12 बजकर पांच मिनट पर लॉन्च किया गया। नासा के प्रशासनिक अधिकारी चार्ली बोल्डेन ने कहा, "लगभग 40 सालों के अथक प्रयास के बाद अमेरिका ने एक ऐसा यान भेजा है, जो मनुष्यों को पृथ्वी की करीबी कक्षा से बहुत दूर अंतरिक्ष में ले जाएगा।" अपने सफल परिक्षण में चार घंटे 24 मिनट की उड़ान के बाद 11 फुट ऊंचा यह अंतरिक्ष यान प्रशांत महासागर में गिरा. नासा के अनुसार इसने अभी तक अन्तरिक्ष में मानवों को ले जाने हेतु विगत 40 वर्षों में निर्मित किसी भी मोड्यूल की तुलना में सबसे लम्बी दूरी तय की है, और 2020 तक मंगल पर मानवों को ले जाने की आशा व्यक्त की है.

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