Sunday, March 22, 2015

अन्तरिक्ष में सब कुछ गोलाकार (Spherical) क्यों है?

Why everything in the universe is spherical in shape ? 

क्या आपने कभी गौर किया है कि अनंत ब्रम्हांड के लगभग सभी पिंड गोलाकार (आंशिक या पूर्ण) हैं? हमारी अपनी पृथ्वी, हमारे चाँद, हमारे सूर्य से लेकर सभी ग्रह, उनके उपग्रह और अन्य तारे – सभी की आकृति गोल सी प्रतीत होती है. क्या इसका कोई कारण है? या यह सब केवल इत्तेफाक बस है? आइये इस बारे में थोडा अध्ययन करते हैं - 

गरूत्वाकर्षण एक ऐसा बल है जो हमें अपने ग्रह पर बनाये रखता है, इसके केंद्र की ओर पूरी ताकत से खींचकर. ब्रह्माण्ड में विचरण करते बाकी सभी पिंडो पर भी यह बात उतनी ही सत्य है – ये सब भी अपने गुरुत्व के अधीन होते हैं. विशाल पिंडों के लिए यह गुरुत्व बल ही वह प्रमुख ताकत होती है जो उनके आकृति का निर्धारक होता है.

किसी पिंड का गुरुत्व इसके द्रव्य को केंद्र की ओर बांधे रखता है जिसके कारण एक गोलाकार आकृति का निर्माण होता है. क्योंकि एक गोलीय आकृति की स्थिति में ही इसके किसी बिंदु से इसके केंद्र तक की दूरी बराबर होती है, जिसके इसका द्रव्य इस सीमा में पूरी मजबूती से बंधा रह जाता है, और दूर नहीं जा पाता.  परन्तु एक पूर्ण गोलीय संरचना हर स्थिति में संभव नहीं है. 

अगर कोई ग्रह या पिंड पूरी तरह पानी का बना हो और हवा जैसी कोई अन्य बाहरी ताकत इसे विचलित ना करे तो इसके सभी कण एक दुसरे को पूरी शक्ति से केंद्र की और खीचेंगे और एक पूर्ण गोलाकार संरचना का निर्माण पूर्ण रूप से संभव है. ज्यादातर तारे, ग्रह या उपग्रह गैस, बर्फ या चट्टानों से निर्मित होते हैं. इनका शक्तिशाली गुरुत्व इसके द्रव्य को केंद्र में संगठित करके इसे गोलाकार संरचना प्रदान कर पाता है परन्तु कम घनत्व के पिंड जैसे क्षुद्र ग्रह या पुच्छल तारों में इस गुरुत्व बल की मात्र का होती है जिससे कारण इनका गोलाकार रूप बहुत विचलित होता है.

एक अन्य बात और भी है. सभी पिंड अपनी अक्ष पर अनवरत घुमते रहते हैं. यह लगातार घूर्णन इनके मध्य भाग को बराबर कर देता है और भू-मध्य रेखा पर चौड़ा परन्तु ध्रुवों के बीच कम कर देता है. नतीजा ऊपर और नीचे से दबी हुए एक चपटी गोलीय संरचना – जैसे हमारे अपनी पृथ्वी.

एक दूसरी अवधारणा में देखें तो विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड की हर वस्तु निम्नतम ऊर्जा की स्थिति में रहना चाहती है. न्यूनतम ऊर्जा की स्थिति में ही वस्तुओं में अधिकतम स्थिरता आती है. इस दृष्टिकोण से सभी रचनाओं में गोले की बनावट ही ऐसी है, जिसकी सतह का क्षेत्रफल सबसे कम होता है. कम क्षेत्रफल का अर्थ है न्यून ऊर्जा. इसीलिए सभी पिंड इस न्यूनतम ऊर्जा की स्थिति में यानी गोलाकार आकृति में पाए जाते हैं .

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