Saturday, March 21, 2015

गैनीमेड (Ganymede) - बृहस्पति के उपग्रह पर समुद्र की खोज!

हबल के द्वारा दोनों ध्रुवों पर देखे गए Auroras
गैनीमेड (Ganymede) ना केवल बृहस्पति (Jupiter) ग्रह का, बल्कि सम्पूर्ण ब्रम्हांड का सबसे बड़ा उपग्रह (चन्द्रमा) है. अमेरिकी अन्तरिक्ष संस्थान नासा (NASA) को इस बात के पक्के सबूत मिले हैं कि बृहस्पति के इस सबसे बड़े उपग्रह पर एक भूमिगत समुद्र है. इसके कारण वहां जीवन के लिए उपयुक्त माहौल होने की उम्मीद जगी है. नासा के वैज्ञानिकों का दावा है कि इस समंदर में शायद धरती से भी ज्यादा पानी है. सौरमंडल के अन्दर और बाहर जीवन की तलाश में जुटे वैज्ञानिकों के लिए यह खबर जहां नयी उम्मीद पैदा करती है वहीँ इस बात पर भी जोर देती है कि जल्द ही इस पिंड पर विस्तृत शोध किया जाए.
 
वैज्ञानिकों के बताया है कि हबल स्पेस टेलिस्कोप से इस उपग्रह पर ऑरोरा (Aurora) (उषा) दिखाई दिए हैं. इस ऑरोरा से सतह के नीचे पानी होने के स्पष्ट संकेत मिलते हैं. पूर्व में वर्ष 1995 में गैलिलियो (Galileo) स्पेस क्राफ्ट को गैनीमेड पर संभावित चुम्बकीय क्षेत्र के संकेत भी मिले थे, जिनकी इन औरोरों में आने वाले बदलावों से पुष्टि होती है. चूँकि गैलिलियो का फ्लाई-बाय बहुत ही कम समय के लिए था इसलिए उसके द्वारा इस उपग्रह का विस्तृत अध्ययन संभव नहीं हो सका था.

नासा ने इस ऑरोरा का वर्णन करते हुए इन्हें ऐसे जगमगाते, गर्म इलेक्ट्रीफाईड गैसों के फीते जैसा बताया है, जो चन्द्रमा के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर दिख सकते हैं. चूँकि ऑरोरा का नियंत्रण या तो स्वयं उपग्रह या फिर ग्रह के चुम्बकीय क्षेत्र से होता है इसलिए इनमें दिखने वाले बदलावों से उस जगह के बारे में बहुत कुछ समझा जा सकता है. गैनीमेड के समुद्र के तापमान और उसकी गहराई के बारे में अभी पता नहीं चल सका है, परन्तु वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह धरती के समुद्रों से कम से कम दस गुना गहरा होगा और लगभग 150 किलोमीटर मोटी बर्फीली सतह के नीचे दबा होगा.

बृहस्पति के साथ इसके तीनों बड़े उपग्रहों के अध्ययन हेतु यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) एक अभियान आयोजित करना चाहती है. 2022 में प्रस्तावित इस अभियान के अंतर्गत यान आठ साल तक महाग्रह और उसके तीनों उपग्रहों का अध्ययन कर आंकड़े जुटाएगा, तब शायद समुद्र के इस रहस्य से और पर्दा उठ सके. इस अभियान में नासा भी अपनी भागीदारी दे रहा है, वह ऐसे राडार का निर्माण कर रहा है जो इन चंद्रमाओं के बर्फीली सतह के नीचे की संरचना भांप सके और समुद्र होने के इस अनुमान को सिद्ध कर सके. 

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