Monday, March 23, 2015

हम चन्द्रमा के केवल एक पक्ष ही क्यों देख पाते हैं? (Far Side of the Moon)

चन्द्रमा का अग्र भाग (गैलिलियो द्वारा) और पृष्ठ भाग (अपोलो 16 द्वारा) प्रेषित 
हमारी धरती के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चन्द्रमा के बारे में जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह यह की हमने आज तक कभी चन्द्रमा का दूसरा भाग देखा ही नहीं है! हम लोगों में से बहुतों ने इसे पढ़ा और समझा भी है अपनी विद्यालयीन किताबों में. पर यक़ीनन ऐसे बहुत से लोग होंगे जो इस बारे में थोड़ा विस्तार पूर्वक जानना पसंद करेंगे. अगर आप उनमें से हैं तो यह लेख आपके लिए है...

किसी भी उपग्रह की दो प्रकार की गतियाँ होती हैं –
  • उसकी वह गति जिसमे वह अपने परिक्रमा पथ में अपने ग्रह के चारों ओर एक चक्कर लगता है, इसे परिक्रमण गति कहा जाता है, और लगने वाले समय को परिक्रमण काल.
  • दूसरी वह गति जिसमे वह अपने अक्ष पर किसी लट्टू की तरह घूमता है. इस गति को घूर्णन गति और कस काल को घूर्णन काल कहते हैं.
चन्द्रमा की इन गतियों के बारे में सबसे मुख्य बात है कि उसका परिक्रमण काल और घूर्णन काल लगभग बराबर है. कहने का मतलब यह कि वह जितने समय में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है लगभग उतने ही समय में वह अपनी धुरी पर भी एक चक्कर पूरा घूम जाता है. इसी कारण उसका एक ही भाग हमेशा धरती के सामने होता है और दूसरा हिस्सा हमेशा हमसे छुपा हुआ. वैसे चन्द्रमा की यह मंद गति हमेशा से ही ऐसी नहीं रही थी होगी. चन्द्रमा पर पड़ने वाले पृथ्वी के शक्तिशाली गुरुत्व के खिंचाव के कारण ही चन्द्रमा की यह गति मंद पड़ी है. इसका सीधा अर्थ यह भी है कि शायद लाखों साल पहले चन्द्रमा का छुपा भाग भी अपनी धरती की ओर देखकर इसकी सुन्दरता पर जलता था होगा.

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