Tuesday, December 2, 2014

Mariner 10 (मेरिनर १०) - बुध की ओर पहला अन्तरिक्ष यान

मेरिनर 10 -श्रृंखला का अंतिम और बुध के
अध्ययन हेतु पहला अन्तरिक्ष यान
मेरिनर १० नासा द्वारा ३ नवम्बर १९७३ को प्रक्षेपित अमेरिकी रोबोटिक स्पेस प्रोब था जिसे बुध और शुक्र ग्रह के नजदीक से उड़ान भरने के उद्देश्य से भेजा गया था जिसे मेरिनर ९ अभियान के लगभग २ वर्ष के पश्चात् भेजा गया था. यह मेरिनर अभियान की अंतिम कड़ी था क्योंकि मेरिनर ११ और मेरिनर १२ को वायेजर अभियान के अंतर्गत वायेजर १ तथा वायेजर २ के रूप में बदला गया था.

इस अभियान का उद्देश्य बुध और शुक्र के पर्यावरण, वातावरण, घरातल और उसकी संरचना का अध्ययन था. दोनों ग्रहों की गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के अध्ययन के अभियान हेतु अनुभव प्राप्त करना भी इस अभियान का द्वितीयक उद्देश्य था.


मेरिनर १० पहला अंतरिक्ष यान था जिसमें ग्रहों के आतंरिक गुरुत्वाकर्षण के द्वारा पथ परिवर्तन की तकनीक का उपयोग किया गया था. शुक्र ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का प्रयोग कर इसके पथ को परिवर्तित कर इसे बुध की कक्षा में भेजा गया. साथ ही यह ऐसा पहला अन्तरिक्ष यान भी था जिसके सौर पैनल और ऐन्टेना में सूर्य की विकिरण के दबाव का प्रयोग किया गया था. इसका निर्माण बोइंग ने किया था. यान में कुल १० विभिन्न उपकरण विभिन्न उद्देश्यों के लिए लगाये गए थे.


मेरिनर अभियान - शुक्र और बुध की यात्रा
मेरिनर १० को कैनॉपस नामक मार्गदर्शक सितारे को आधार मानकर अपनी यात्रा पथ तय रखनी थी परन्तु स्टार ट्रैकर में यान की सतह से उखड़े पेंट की एक परत बैठ गयी और इसका फोकस जाता रहा. प्रक्षेपण पथ को बाद में सुधार तो लिया गया परन्तु यह समस्या पूरे अभियान में बनी रही. जनवरी १९७४ में मेरिनर १० ने कोहौटेक धूमकेतु का अल्ट्रा वोइलेट निरिक्षण किया और शुक्र की और बढ़ चला. ५ फरवरी १९७४ को शुक्र ग्रह से जब यह अपने सबसे नजदीकी दूरी पर था इसने अपने अल्ट्रा-वोइलेट फ़िल्टर से  शुक्र ग्रह का अध्ययन किया जिससे पता चला की शुक्र के बादल दृश्य प्रकाश में विशेषता रहित या भद्दे से नजर आते हैं. इसके पहले भी धरती इसका अवलोकन किया जा चूका था परन्तु मेरिनर द्वारा भेजे गए विस्तृत जानकारी ने शोधकर्ताओं को आश्चर्य में डाल दिया.

अपनी यात्रा में मेरिनर कुल तीन बार बुध के नजदीक से गुजरा और उससे सम्बंधित विस्तृत जानकारी भेजी. अपने तीसरे चरण में तो यह बुध से केवल ३२७ किलोमीटर ही दूर रह गया था और बुध के उत्तरी ध्रुव के ठीक ऊपर से होकर निकला था. मरिनेर द्वारा बुध की लगभग ४०-४५% भाग का मानचित्र तैयार किया गया. चूँकि बुध का केवल एक भाग ही सदैव सूर्य की ओर रहता है इसलिए अन्धकार से भरे भाग का अध्ययन संभव ना हो सका. मेरिनर के द्वारा भेजे गए तस्वीरों से पता चला की बुध, हमारे चन्द्रमा जैसी संरचना लिए हुए है. साथ ही मेरिनर ने बताया कि बुध का पर्यावरण बहुत पतला है जो मुख्य रूप से हीलियम का बना हुआ है. दिन और रात के तापमान में विस्तृत अंतर है जो रात में −183 °C (−297 °F) से लेकर दिन में 187 °C (369 °F)तक हो जाता है.

तीसरे चरण के पश्चात् जब यह पुनः सूर्य की परिक्रमा में था
मेरिनर १० के  सम्मान में १९७५ में जारी डाक-टिकट
तब इसके पथ परिवर्तन हेतु आवश्यक उर्जा समाप्त हो गयी और यह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण में बंधकर रह गया. ऐसा माना जाता है कि यह शायद आज भी सूर्य की परिक्रमा कर रहा है.


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