बारिश तो हम सभी ने
देखी है और अगर आप मेरे जैसे हैं तो बारिश का मौसम और उमड़ते-घुमड़ते बादलों का
दृश्य मेरे लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है और उसपर अगर इन्द्रधनुष दिख जाए तो क्या
कहने...
लेकिन सुदूर
अन्तरिक्ष में हमसे करीब 400 प्रकाशवर्ष दूर स्थित एक ग्रह की बारिश बड़ी अनोखी है –
कैसे? वैज्ञानिकों की मानें तो वहां लोहे की बारिश होती है. यह ग्रह जिसका नाम WASP
76b रखा गया है, यह हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित ऐसा
बाह्यग्रह (ExoPlanet) है जो के बेहद तप्त गैसीय दानव है. ये ग्रह अपने तारे से
इतना अधिक रेडिएशन ग्रहण करता है कि इसका दिन का तापमान तारों को टक्कर देने लगता
है.
वैसे अभी तक तो इतने
दूर स्थित ग्रहों के अध्ययन में बहुत ज्यादा जानकारी प्राप्त करने की तकनीक आने
में समय है परन्तु 2018 में जब यह ग्रह अपने तारे के सामने से गुजरा और प्रकाशित
था तब इसके वातावरण से फ़िल्टर हुए इसके तारे के प्रकाश का अध्ययन करने से इसके
विभिन्न क्षेत्रों की रासायनिक संरचना का पता चला था.
खगोल वैज्ञानिकों के
एक और बात का पता लगाया कि दिन के समय इस ग्रह के वातावरण में लोहे की प्रचुर
मात्र दिखती है वहीँ रात से दिन के समय में (जब इसका तापमान दिन के तापमान से लगभग
1000 डिग्री सेल्सियस कम रहता है) वातावरण में लोहे की उपस्थिति नहीं दिखाई दी.
अध्ययन के अनुसार संभवतः रात के तापमान में गैस के रूप में उपलब्ध लोहा ठंडा होता
है और तेज बारिश के रूप में गिर जाता है. चूँकि इस ग्रह पर कोई ठोस धरातल तो है
नहीं इसलिए लोहे की इन गैसों का पता चल नहीं पाता है क्योंकि ये संघनित लौह कणों
की बूंदे काफी अन्दर तक चली जाती हैं और पुनः गहराई में जाकर वाष्पित हो जाती हैं
और दिन में वाष्पीकरण और रात में बारिश के रूप में नीचे आ जाती है और लोहे की बारिश
का सिलसिला हर रात होता है.
तो कैसे लगा लोहे की
बारिश की दुनिया....भयंकर...है न !!!
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