PDS 70 बी और वलयाकार गैसीय बादल |
अन्तरिक्ष में अनवरत अपनी दृष्टि लगाए और नए-नए खोजों की
जिज्ञासा के क्रम में चिली के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने ऐसे एक युवा ग्रह को खोज
निकाला है जिसके चारों ओर गैसे और धूल-कणों की एक वलयाकार आकृति नजर आ रही है, ये
कुछ ऐसा ही है जैसे वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार महाग्रह बृहस्पति के चारों ओर
स्थित था – और जिससे उसके चंद्रमाओं का निर्माण हुआ है. हमसे करीब 370
प्रकाशवर्षों की दूरी पर स्थित PDS
70b नामक यह गैसीय दानव ग्रह गणना के अनुसार हमारे महाग्रह
बृहस्पति से कई गुना विशाल है और अभी यह अपने निर्माण की प्रक्रिया में ही है. यह ग्रह PDS
70 नामक बौने तारे की परिक्रमा कर रहा है.
सामान्यः तारों से निकली गैस और धूल-कणों से ग्रह निर्मित
होते हैं और यदि ग्रह विशाल हो तो वह अपनी कक्षा में फैले गैसों एवं धूल-कणों से अपना
वलय निर्मित कर लेता है. इस वलय में स्थित
पदार्थ कालांतर में उसके उपग्रहों का रूप ले लेते है, ठीक बृहस्पति ग्रह की तरह –
जो अपने आप में एक सम्पूर्ण ग्रहीय-उपग्रहीय प्रणाली है.
ग्रह के चारों ओर बना यह वलय लगभग 1 करोड़ साल के समय में
उपग्रहों में बदल जाएगा. हमारे सौर प्रणाली में यह घटना आज से तकरीबन 4 अरब वर्ष
पहले घटित हुयी होगी. इसलिए वैज्ञानिक इस खोजे गए ग्रह और उसके वलय के प्रति
कौतुहल से भरे हैं. अभी तक नगण्य संख्या में ही ऐसे ग्रह खोजे गए हैं और यह विशाल
ग्रह होने के कारण अध्ययन हेतु बेहतर स्थितियां प्रकट करता है.
इस ग्रह और इसके वलय के अध्ययन से वैज्ञानिकों को हमारे
सौरमंडल के निर्माण के बारे में बेहतर समझ विकसित करने में मदद होगी.
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