सूदूर अन्तरिक्ष में वायेजर 2 |
आज ही के दिन 20
अगस्त 1977 को, आज से ठीक 42 साल पहले नासा ने वायेजर 2 का प्रक्षेपण किया था, तब
शायद किसी ने भी न सोचा था होगा कि यह प्रोब सौरमंडल के न केवल अंतिम ग्रह तक
जाएगा बल्कि उससे आगे की अनजानी दुनिया को पार करता हुआ एक दिन सौरमंडल की सीमा को
भी पार कर दुसरे तारे के क्षेत्र में प्रवेश करेगा – वैसे अगर सब ठीक भी रहा तो भी
उसे कम से कम 40000 वर्ष लगेंगे –
एंड्रोमेडा तारामंडल के छोटे से तारे रॉस 248 तक पहुँचने में.
आज सौरमंडल के
बाह्य गैसीय दानवों और क्षुद्र ग्रह प्लूटो और इनके अनेकों चंद्रमाओं की जो जानकारियाँ
हैं वे मुख्यतः वायेजर 2 और इसके साथी वायेजर 1 की देन है. हम नहीं जानते कि कभी
ये किसी अन्य जीवन तक पहुंचेगा भी या नहीं. परन्तु हमने इसमें एक गोल्ड ग्रामोफ़ोन
डिस्क और उसे चलाने के लिए सांकेतिक निर्देश भेजे हैं जिसमें धरती की 55 भाषाओँ
में सन्देश है और उसमें से 10 भाषाएँ हमारे भारत की हैं.
वायेजर में भेजी गयी डिस्क और प्रतीक चिन्ह (The Sound of Earth) |
शायद हम कभी न
जान पाये क्योंकि 2036 के बाद इससे हमारा संपर्क टूट जाएगा परन्तु इस आशा के साथ
कि शायद कोई अति-विकसित सभ्यता इसे ढूंढ ले और इसमें बने पृथ्वी के अन्तरिक्षीय पते
पर पहुँच सके. इसी सकारात्मक आशाओं के साथ वायेजर 2 को वर्षगाँठ की शुभकामनाओं के
साथ....\
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