Tuesday, April 16, 2019

हायाबुसा 2 - क्षुद्र ग्रह पर पहला अन्तरिक्ष यान

हायाबुसा-2 और क्षुद्र ग्रह रयुगू (Ryugu)
आज से लगभग 4.6 अरब वर्ष पूर्व जब सौर परिवार का जन्म हुआ था तब हमारे ग्रहों और कालांतर में उनके अनेकों उपग्रहों का जन्म हुआ था. इसी कड़ी में कुछ गैसीय बादल जो पृथ्वी और मंगल के मध्य थे, वे क्षुद्र पिंडों या एस्टेरोइड में बदल गए (दूसरी मान्यता के अनुसार ये मंगल के उपग्रह के टुकड़े भी हो सकते हैं). इन क्षुद्र ग्रहों के साथ सौर मंडल के निर्माण की कहानी आवश्यक रूप से जुड़ी है और इसी ऐतिहासिक कथा के कुछ रहस्यों को खोलने के उद्देश्य से जापान की अन्तरिक्ष संस्था जाक्सा (JAXA - Japan Aerospace Exploration Agency) ने आज से तकरीबन 5 वर्ष पूर्व हायाबुसा-2 (Hayabusa-2) नामक अन्तरिक्ष यान सबसे पुराने क्षुद्र ग्रहों में से एक माने जाने वाले रयुगू (Ryugu) के लिए अन्तरिक्ष में रवाना किया था. रयुगू धरती से लगभग 18.6 करोड़ मील की दूरी पर स्थित है.

हायाबुसा-2 गत वर्ष 2018 में इस चट्टानी पिंड के नजदीक पहुंचा और सितम्बर 2018 में दो रोबोट इसकी धरातल पर उतारे. कई महीनों तक नजदीक से चित्र और अन्य आंकड़े एकत्रित करते हुए इस वर्ष 2019 की फरवरी में अपनी कसौटी पर खरा उतरते हुए इस यान ने इस क्षुद्र ग्रह की धरातल पर अपने कदम रखे. इसी के साथ ही जापान के अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों की आशाएं सौरमंडल के अध्ययन को आगे ले जाने की दिशा में और सुदृढ़ हो गयी. 
एस्टेरोइड रयुगू और वह स्थान जहाँ छिद्र किया गया 

ये वैज्ञानिक रयुगू के धूल के अध्ययन से शुरूआती अन्तरिक्ष के बारे में जानने का प्रयास कर रहे हैं. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्हें इसकी धरातलीय संरचना के नमूने चाहिए. उपरी हिस्से के नमूने तो एकत्रित किये जा चुके थे, परन्तु उपरी सतह के नीचे का धरातल कैसा है यह जानना अति-आवश्यक था. इसलिए इस अन्तरिक्ष यान में विशेष तौर पर निर्मित गोली (Bullet) भेजी गयी थी ताकि उसकी धरातलीय संरचना के बारे में बेहतर नमूनों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त की जा सके. प्रोब ने सफलतापूर्वक विशेष गन से 650 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से टैंटलम धातु से निर्मित गोली से इस क्षुद्र ग्रह को भेदने में सफलता प्राप्त की है. 


यह प्रोब इन नमूनों के लेकर जल्द ही ( दिसम्बर 2020 में) धरती पर वापस आएगा तब जापान और विश्व अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों की बिरादरी इसके बारे में अध्ययन में जुट जायेंगी तब तक विश्व के अपने तरह के इस पहले अभियान की निरंतर सफलता की आशा है. वैसे वैज्ञानिकों को विश्वास है कि इस क्षुद्र ग्रह पर जैविक पदार्थों और पानी की भरपूर मात्रा रही होगी जब 4.6 अरब वर्ष पूर्व सौर मंडल का निर्माण हुआ था. 

क्षुद्र ग्रह के धरातल में छिद्र करना इस अभियान का पहला बड़ा पड़ाव था. अगले पड़ाव में यह मैस्कॉट (Mascot) आयर मिनेर्वा-II (Minerva-II) लैंडर उतरेगा जो इसकी सतह पर घूमकर अध्ययन करेंगे. 



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