Saturday, August 11, 2018

नासा ने खोज निकाला सौरमंडल का अंतिम छोर - हाइड्रोजन की दीवार


 
सौर पवन के बुलबुले के बीच परिक्रमा करता सूर्य

क्या कभी आपने सुना है कि हमारे सौरमंडल का भी एक अंतिम छोर है, जिसके पार दूसरा सौरमंडल शुरू होता है. अभी तक तो हमें लगा था कि केवल इंसानों की बनायी इस दुनिया में ही ये सीमा रेखा और विभाजन वाले कारनामे होते हैं. परन्तु अन्तरिक्ष के क्षेत्र में नित-नए खोजों के बीच नासा ने एक आश्चर्यजनक दावा किया है कि उसने सौरमंडल का अंतिम सिरा या सीमा रेखा खोज निकाली है. इसके पहले तक वैज्ञानिक मानते थे कि ऐसी कोई स्पष्ट निर्धारित सीमा रेखा नहीं है और अनंत ब्रम्हांड में सब मिला-जुला सा है.

लेकिन नासा के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि न्यू होराइजन अन्तरिक्ष यान ने इस अदृश्य सीमा रेखा को देख लिया है और यह सौरमंडल के अंतिम छोर की पुष्टि करता है. उन्होंने इसका नाम हाइड्रोजन की दीवार (Hydrogen Wall) रखा है. तो क्या है ये हाइड्रोजन की दीवार!!!

सूर्य से उठने वाले सौर-पवनों के रूप में सूर्य पदार्थ और ऊर्जा लगातार उगलता रहता है. यह सौर पवन प्लूटो के परिक्रमा पथ के भी परे सफ़र तय करती है. हाल तक वैज्ञानिकों का मानना था कि यह सौर पवन अंत में क्षीण होकर आकाशगंगा के चुम्बकीय क्षेत्र के साथ मिल जाता होगा. लेकिन प्राप्त नवीन साक्ष्यों के अनुसार सौर पवन द्वारा ले जाए गए यह पदार्थ और उर्जा एक क्षेत्र में संचित होते जाते हैं. यही वह क्षेत्र है जहाँ सौर पवन के साथ आये पदार्थ अंतर-तारकीय (दूसरे तारों से उत्सर्जित) पदार्थों के साथ क्रिया करते हैं. यहाँ ये बताना आवश्यक है कि हाइड्रोजन इस स्थिति में सबसे सामान्य पदार्थ है और इस तरह वे हाइड्रोजन की दीवार का निर्माण करते हैं. वैसे तो सूर्य भी लगभग पूर्ण रूप से हाइड्रोजन का बना हुआ है और यही जलता हुआ हाइड्रोजन सूर्य की उर्जा है.

वैज्ञानिक इस दीवार को समझते हुए कहते हैं कि यह वह सीमा रेखा है जहाँ सौर पवन के बुलबुले थम जाते हैं. यहाँ अंतर-तारकीय पदार्थों का द्रव्यमान काफी कम होता है परन्तु इतना नहीं कि वह सौर पवन को आगे जाने दे. इस जगह पर इस दीवार से टकराकर सौर पवन वापस अन्दर सीमा में पहुँचता है. 

सूर्य, आकाशगंगा में अपने सौर पवनों द्वारा उप्तन्न बुलबुले के अन्दर परिक्रमा करता है. सूर्य के सामने आकाशगंगा संबंधी पदार्थों के टुकड़े फ़ैल जाते हैं जिसमें हाइड्रोजन ही मुख्य रूप से होता है. (उपरोक्त चित्र में देखें)

अब सच्चाई कितनी है ये तो भविष्य में अध्ययन ही बताएगा. कुछ वैज्ञानिकों को संदेह है कि जिसे हाइड्रोजन की दीवार समझा जा रहा है, हो सकता है वह केवल सूर्य की पराबैंगनी किरणें हों. 

पर वे हाइड्रोजन की दीवार की सम्भावना से इनकार भी नहीं करते. बहुत से वैज्ञानिक ऐसे किसी दीवार के अस्तित्व पर सैद्धांतिक रूप से सहमत भी दिखाई देते हैं. अब सच्चाई क्या है ये तो वक़्त ही बताएगा. 

पर अगरनासा के वैज्ञानिकोंका संदेह सहीं हुआ, तो यह एक शानदार खोज होगी. बहुत ही शानदार...

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