Thursday, August 9, 2018

सौरमंडल के बाहर घूमता अद्भुत-आवारा पिंड - ग्रह या तारा!!!

SIMP J01365663+0933473 - सितारा विहीन ग्रह या असफल सितारा !!!

ग्रह के बारे में आप क्या जानते हैं? यही ना कि ये एक अन्तरिक्षीय पिंड है जो अपने सितारे की परिक्रमा करता है जैसे – पृथ्वी ग्रह अपने तारे सूर्य की परिक्रमा करती है. पर अगर किसी ग्रह के पास अपना तारा ना हो तो!!! है न बड़ी विचित्र सी बात. ऐसा ही एक विचित्र सा विशालकाय पिंड वैज्ञानिकों ने सौर-मंडल से लगभग 20 प्रकाशवर्ष दूर खोज निकाला है. 

लगभग 20 करोड़ वर्ष आयु वाले SIMP J01365663+0933473 नाम के इस विचित्र ग्रहीय-पिंड ने सम्पूर्ण वैज्ञानिक जगत को अचम्भे में डाल दिया है. वे इसके आकार और अति-शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र से तो हैरान हैं पर सबसे आश्चर्य इस बात से है कि यह किसी भी सितारे की परिक्रमा नहीं कर रहा है. इसलिए वैज्ञानिकों का एक समूह इसे ग्रह न मानकर ‘असफल सितारा’ मानकर चल रहा है याने ऐसा पिंड जो सितारा बनने वाला था पर किसी कारण से जो पूर्ण रूप से सितारे के रूप में विकसित न हो पाया. उनके ऐसा सोचने के पीछे कई वजह है – 

1.    यह सौरमंडल के विशालतम ग्रह बृहस्पति (Jupiter) से भी 13 गुणा ज्यादा बड़ा है. इतना बड़ा ग्रह सैद्धांतिक रूप से होना मुश्किल है.
2.    इसका अति-शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र – इसका चुम्बकीय क्षेत्र बृहस्पति के शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र से भी 200 गुणा ज्यादा ताकतवर है.
3.    इसकी सतह का तापमान – जो कि 1500 डिग्री फ़ारेनहाइट है. जबकि गैसीय ग्रहों जैसे बृहस्पति का तापमान शून्य से भी कम होता है और हमारा सूर्य भी 10000 फ़ारेनहाइट है. इतना अधिक तापमान किसी ग्रह के लिए संदेह को जन्म देता है.
4.    अगर यह ग्रह होता तो किसी तारे की परिक्रमा अवश्य कर रहा होगा, इसलिए वे मानते हैं कि ये स्वयं में ही एक असफल तारा (Failed Star) है. 

इस सितारे का अध्ययन करने वाले दल की प्रमुख मेलोडी काओ (Melodie Kao) इस बारे में विस्तार पूर्वक कहती हैं – “यह पिंड एक ग्रह और एक भूरे वामन तारे (Brown Dwarf Star – यानि ऐसा तारा जिसका द्रव्यमान विशाल गैसीय दानव ग्रह और कम द्रव्यमान वाले सितारे के बीच हो) के बिलकुल सीमा पर है. यह एक असफल सितारा भी हो सकता है. यह लगातार हमें अचंभित कर रहा है जिससे हमें तारों और ग्रहों पर चुम्बकीय प्रक्रियाओं को समझने में मदद मिल सकती है. मुझे और मेरी पूरी टीम इसके किसी सितारे की परिक्रमा न करने के तथ्य को लेकर आश्चर्य में है” वे इसके चुम्बकीय प्रेरण तंत्र के बारे में भी बहुत उत्साहित हैं और उनका विश्वास है कि यह अन्य धरातलीय तथा गैसीय ग्रहों पर भी काम करता होगा.

इस ग्रहीय-पिंड के उत्तरी ध्रुव में अद्भुत कांतिमय ज्योति भी दिखाई दे रही है जो इसे और रहस्यमय बनाते हैं. इसी ध्रुवीय ज्योति के माध्यम से इसे खोजा गया है. यह किसी बाह्य-ग्रह को खोजने का नवीन मार्ग भी हो सकता है. इस अन्वेषण दल से जुड़े ग्रेग हैलिनन कहते हैं.






वैसे, यह पिंड आज से 2 वर्ष पूर्व ही 2016 में खोज लिया गया था, उस वक़्त इसे भूरा-वामन तारा माना गया था. परन्तु अध्ययन से प्राप्त जानकारियों ने इस धारणा को संदेह में ला दिया. 

समूचा विज्ञान जगत इस खोज के प्रति उत्सुक है, देखते हैं भविष्य में प्राप्त जानकारियाँ क्या कहती हैं. यह भी हो सकता है कि मानव मस्तिष्क को हैरान करने वाले इस पिंड की तरह और भी पिंड इस अन्तरिक्ष में प्राप्त हो जाएँ. 

आखिर अन्तरिक्ष की गहराइयों में और क्या-क्या छुपा हुआ है, यह तो कोई नहीं जानता.

No comments:

Post a Comment

इस लेख और ब्लॉग के सम्बन्ध में आपके मूल्यवान विचारों का स्वागत है -
----------------------------------------------------------------------------------------------