Saturday, June 23, 2018

शिशु ग्रह (Baby Planet) – अन्तरिक्ष विज्ञान में नयी खोज

काल्पनिक चित्रण
अन्तरिक्ष निरंतर विस्तारित हो रहा है और नित करोड़ो की संख्या में अन्तरिक्षीय पिंड बन रहे हैं और नष्ट हो रहे हैं. हमारी दृष्टि अन्तरिक्ष के केवल एक सूक्ष्म हिस्से को ही देख पा रही है लेकिन अपनी सीमाओं के बावजूद हमने हजारों की संख्या में सौरमंडल के बाहर नए-नए ग्रहों का पता लगाया है जिससे बाह्य-ग्रह या Exoplanet हम कहते हैं. 
 
परन्तु विगत दिनों अन्तरिक्ष अन्वेषकों ने एक अलग ही खोज कर दी. दो स्वंतंत्र दलों को कुल 3 ऐसे छोटे ग्रह मिले हैं जिन्हें वे शिशु ग्रह (Baby Planets) के नाम से पुकार रहे हैं. मजे की बात ये है कि ये हमारी ही आकाशगंगा में मिले हैं. वैज्ञानिक इनको पूर्ण विकसित ग्रह नहीं मान रहे हैं बल्कि उनका मानना है कि ये तीनों ही अपने आद्य-रूप यानि कि शुरूआती स्तर पर हैं इसलिए वे इन्हें प्रोटोप्लेनेट (Proto-Planets) मान रहे हैं. दूसरे शब्दों में ये कि अपने सितारे का चक्कर काटते यह तीनों ग्रह अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुए हैं और एक ग्रह बनने की दिशा में ये अभी बीच रास्ते में हैं. इस आधार पर एक ग्रह के दृष्टिकोण से इनकी उम्र बेहद कम है. उन्होंने कोई गणना तो नहीं की है परन्तु उनका मानना है कि ये सबसे छोटे उम्र के ग्रह हैं यानि शिशु-ग्रह – जैसा इन्हें पुकारा जा रहा है.

ये पहली बार है कि वैज्ञानिकों ने किसी प्रोटोप्लेनेट की खोज की हो. हमसे लगभग 330 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर एक नए निर्मित सितारे एच डी – 163296 का चक्कर लगाते अपने निर्माण की शुरूआती अवस्था में प्राप्त इन ग्रहों की खोज दो स्वंतंत्र टीमों ने की है. ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के शोधकर्ता पिंट के अनुसार यह विज्ञान के लिए बिलकुल नयी खोज है. इसके पहले कभी भी प्रोटोप्लेनेट को नहीं खोजा जा सका गया था. उनका मानना है कि इस खोज के गहन अध्ययन से अन्तरिक्षीय धूल से ग्रहों के निर्माण का सिद्धांत परखा जा सकेगा और ग्रह-उपग्रह प्रणाली कैसे बनती है, इसे हम बेहतर तरीके से समझ पायेंगे.

मिशिगन विश्वविद्यालय के खगोलविद रिचर्ड टीग की टीम ने टेलिस्कोप की मदद से उच्च-आवर्धन वाली तस्वीरों में इन ग्रहों के प्रमाण देखे. ये ग्रह सितारे के आसपास की धूल में अजीब सी हलचल के अध्ययन के दौरान देखे गए. अब इन शिशु रूप से युवा ग्रह तक का सफ़र क्या-क्या पड़ाव लाता है, इस खोज से वैज्ञानिक बहुत कुछ जान पायेंगे. पर क्या मानव जाति इस लम्बी अवधि तक इस पृथ्वी पर राज कर पाएगी. 

इन दो कठिन सवालों के जवाब अभी तो समय के पास भी नहीं है...



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