इसी माह 5 मई 2018, दिन शनिवार को नासा (NASA) ने अपने बहुप्रतीक्षित नवीनतम मार्स लैंडर –‘इनसाइट (InSight)’ को मंगल ग्रह की ओर प्रक्षेपित किया. अंतरिक्ष यान को एटलस-वी रॉकेट (Atlas-V Rocket) के जरिए कैलिफोर्निया (California) स्थित वंडेनबर्ग वायुसेना अड्डा (Vandenberg Air Force Base) से अंतर्राष्ट्रीय समय शाम चार बजकर 35 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया.
नासा की समस्त अंतरिक्ष अभियानों और योजनाओं में मंगल ग्रह पर मानव बस्ती बसाने का लक्ष्य सर्वप्रमुख है. नासा सहित समस्त मानव जाति का पृथ्वी के बाहर एक और घर (ग्रह) का सपना कब पूरा होगा और होगा भी कि नहीं, यह तो भविष्य ही बताएगा. परन्तु, नासा विश्व के अन्य अन्तरिक्ष संस्थानों और वैज्ञानिकों के साथ इस दिशा में हर संभव प्रयास करने में जुटा हुआ है.
इस दिशा में नासा के लिए सबसे पहली और बड़ी चुनौती है – मंगल ग्रह पर अन्तरिक्ष यात्री भेजना. मंगल पर किसी भी मानव-अभियान के पहले नासा को अभी इस रहस्यमय लाल-ग्रह के बारे में अनेकों जानकारियाँ ज्ञात करना आवश्यक है और इसी उद्देश्य से – खासतौर से वहाँ आने वाले भूकंप और उसके खतरों की पहचान के लिए इस यान की रचना की गयी है. नासा में इनसाइट अभियान के प्रमुख वैज्ञानिक जिम ग्रीन (Jim Green) के अनुसार अन्तरिक्ष अध्ययनों से यह पता चला है कि मंगल पर अनेकों बार भूकंप और भू-स्खलन की प्रक्रिया हुयी है और उल्का पिंडों के टकराने के भी प्रमाण मौजूद हैं. लेकिन मंगल ग्रह की भूकंप सहने की क्षमता और इससे उस ग्रह पर आने वाले परिवर्तनों को जानना अत्यंत आवश्यक है. इसलिए इस लैंडर में सबसे प्रमुख उपकरण सिस्मोमीटर (Seismometer) है जो भूकंप मापने का उपकरण है. लैंडर के मंगल की सतह पर उतरने के बाद एक ‘रोबोटिक आर्म’ सतह पर सिस्मोमीटर को स्थापित करेगा.
इसमें लगा एक अन्य उपकरण ग्रह की सतह में उष्मा के प्रवाह की निगरानी करेगा. इसके लिए मंगल ग्रह की सतह पर 10 से 16 फुट गहरा सुराख किया जाएगा जो कि पूर्व के अभियानों से काफी ज्यादा गहरा होगा. यह रोबोटिक लैंडर, इसके साथ ही रेडियो तरंगों के माध्यम से मंगल ग्रह की आन्तरिक सतह का पता लगाने का भी प्रयास करेगा.
‘इनसाइट’ का पूरा नाम है – इंटीरियर एक्सप्लोरेशन यूजिंग सिस्मिक इन्वेस्टीगेशंस, जियोडेसी एंड हीट ट्रांसपोर्ट (Interior Exploration using Seismic Investigations, Geodesy and Heat Transport). और इसे लॉकहीड मार्टिन स्पेस सिस्टम्स (Lockheed Martin Space Systems) ने बनाया है. पहले यह मार्च 2018 में प्रक्षेपित होने वाला था. सम्पूर्ण परियोजना का व्यय 83 करोड़ अमेरिकी डॉलर बताया जा रहा है. मंगल ग्रह के मौसम और उसमें होने वाली भू-गर्भीय हलचलों की सटीक जानकारी होने पर ही नासा अपने अन्तरिक्ष यानों और अन्तरिक्ष यात्रियों को इस चुनौतीपूर्ण अभियान के लिए तैयार कर पाने में सक्षम हो पायेगा. यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो मार्स लैंडर –इनसाइट इस वर्ष 26 नवम्बर 2018 को मंगल ग्रह की धरती पर उतरेगा और भविष्य के द्वार खोलने में सहयोग प्रदान करना शुरू कर देगा...
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