आज से ठीक 60 वर्ष पहले 15 मई 1958
सोवियत संघ (USSR) ने विश्व के पहले सफल
कृत्रिम उपग्रह श्रृंखला स्पुतनिक (Sputnik) के तीसरे उपग्रह
(Sputnik-3) का सफल प्रक्षेपण किया था. इस उपग्रह का मकसद धरती के उपरी वातावरण और
नजदीकी अन्तरिक्ष के वातावरण का गहन अध्ययन करना था. स्पुतनिक-3 एक स्वचालित
प्रयोगशाला की तरह था जिसमें अन्वेषण के लिए काफी सारे उपकरण भेजे गए थे.
यहाँ एक शानदार बात यह है कि वास्तव में हम जिस स्पुतनिक-3
की बात कर रहे हैं वह मूल स्पुतनिक-3 नहीं था. हुआ यूं कि स्पुतनिक-3 का प्रक्षेपण
20 अप्रैल 1958 के दिन निर्धारित किया गया
था, परन्तु कुछ तकनिकी खामियों की वजह से प्रक्षेपण 27 अप्रैल
को किया गया. परन्तु प्रक्षेपण के साथ ही दिक्कतों का सिलसिला शुरू हो गया.
शुरूआती 1 मिनट तब सब ठीक रहा परन्तु अगले ही क्षण गड़बड़ी शुरू हो गयी . बूस्टर
राकेट नष्ट हो गए और लांच व्हीकल गिरना शुरू हो गया. बाद में उपग्रह को क्रेश की
जगह से खोज निकाला गया और पुनः प्रयोग के उद्देश्य से प्रयोगशाला लाया गया परन्तु
विद्युत् भाग में शोर्ट-सर्किट के कारण यह जलकर अनुपयोगी हो गया.
तब बैक-अप उपग्रह और बूस्टर राकेट से 15 मई की सुबह इसका
सफल प्रक्षेपण किया गया. दिक्कतें तब भी आयीं थी परन्तु उपग्रह कक्षा में स्थापित
हो गया. 6 अप्रैल 1960 को लगभग 2 वर्ष के पश्चात पृथ्वी के
वातावरण में प्रविष्ट होते समय जलकर यह नष्ट हो गया.
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