Saturday, April 1, 2017

गहरा गुलाबी ग्रह - GJ504b


गहरा गुलाबी ग्रह - GJ504b (NASA की कल्पना में)
आज से कुछ वर्ष पूर्व सन २००३ में हवाई में अन्तरिक्ष वज्ञानिकों ने हमारी दुनिया से लगभग 57 प्रकाश वर्ष दूर एक नए ग्रह की खोज की है जिसका रंग गहरा गुलाबी है. अनोखे रंग के साथ अद्भुत बात यह भी है कि यह ग्रह आकार में हमारे महाग्रह बृहस्पति के बराबर का है, परन्तु द्रव्यमान में तो उससे भी कई-कई गुना ज्यादा. इस खोज की एक रोचक बात और भी है और वह ये, कि इसकी खोज सीधे टेलिस्कोप से हुयी है न कि इसके तारे की स्थिति के अनुसार गणना करके. इस ग्रह का नाम वैज्ञानिकों ने GJ 504b रखा है. 

वैसे सच कहा जाए तो भले ही बृहस्पति हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है परन्तु सौर-मंडल के बाहर उसके इतने बड़े ग्रहों का मिलना बहुत ही सामान्य सी बात है. यूं कहा जाए कि हमारे वैज्ञानिकों ने सुदूर सितारों के परिवारों में ऐसे अनेक ग्रह ढूंढ निकाले हैं. इस ग्रह की जो सबसे अनोखी बात है कि यह अपने सितारे से लगभग 4.०५ बिलियन मील दूर स्थित है या यह कहें कि अगर हमारे सौरमंडल को मॉडल मानकर तुलना करें तो यह सूर्य और नेपच्यून की दूरी से भी दूर होगा.  

यहाँ से हमारे मेधावी अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए एक समस्या की शुरुआत होती है. ग्रहों की रचना याने उनके अपने आकार लेने के सम्बन्ध में अभी जो प्रचलित थ्योरी है उसे केन्द्रित या मूल अभिवृद्धि सिद्धांत (Core accretion theory) कहा जाता है. सामायतः बृहस्पति जैसे विशालकाय गैसीय ग्रह की रचना इस सिद्धांत से जानी जाती है. इसके अनुसार जब एक सितारा अपना रूप लेता है तब यह विशालकाय टुकड़ों के क्षेत्र से घिरा होता है.  किसी समय कोई धूमकेतु या क्षुद्र ग्रह इस क्षेत्र से आ टकराता है और विखंडित होकर कहीं अधिक विशालकाय संरचना का निर्माण करता है. यह प्रक्रिया चलती रहती है यानि यह टुकड़ों का क्षेत्र किसी और पिंड से टकराता रहता और और बढ़ता चला जाता है. जैसे जैसे यह संरचना और विशालकाय होती चली जाती है, इसका गुरुत्व क्षेत्र भी बढ़ता चला जाता है और यह उसे मलबे से गैसों और धूलकणों को केंद्र की ओर खीचने लगती है, और धीरे-धीरे गैसीय महाग्रह अपना रूप प्राप्त करता है. 

लेकिन GJ504b अपने सितारे से बहुत अधिक दूरी पर है - इस दूरी पर यह मलबा विशालकाय और घना न होकर छितरा हुआ होता है, जिससे विशालकाय ग्रह के निर्माण की संभावना इस सिद्धांत में संभव नहीं है. किन यह गुलाबी ग्रह अपनी दूरी और विशालता से इस सिद्धांत को चुनौती दे रहा है और वैज्ञानिक ग्रहों के निर्माण के बारे में पुनः सोचने विवश हो उठे हैं. 

देखिये, अन्तरिक्ष के गर्भ में दबे नए रहस्य हमारे ज्ञान को और कितनी चुनौतियां देते हैं...हमारे समर्पित और महान वैज्ञानिकों को श्रद्देय नमन के साथ ... अन्तरिक्ष का यह छोटा सा ज्ञान कोष जारी रहेगा...

2 comments:

  1. Replies
    1. धन्यवाद जी, पर अगर आप अपना नाम ही बता देते तो ज्यादा ख़ुशी होती. पुनः धन्यवाद.

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