Sunday, October 16, 2016

स्पुतनिक I - संसार का पहला कृत्रिम उपग्रह


अनंत अन्तरिक्ष सदा से मानव को अपनी अबूझ दुनिया की ओर आकर्षित करते रहा है, और मानव ने भी अपने ग्रह से पार अन्तरिक्ष की असीमित परिधि में छुपे रहस्यों से पर्दा उठाने के अपने दृढ प्रयास में लगातार सफलताएं प्राप्त की हैं. सदियों से अनेक महान वैज्ञानिकों ने अन्तरिक्ष के बारे में हमारे ज्ञान में बढ़ोतरी की परन्तु ४ अक्टूबर १९५७ का दिन इस अभियान का सबसे महत्वपूर्ण दिन था जब पहली बार धरती की सीमा को चीर कर मानव ने अपने दूत को अन्तरिक्ष में भेजा. इस दिन तात्कालिक सोवियत संघ के द्वारा निर्मित प्रथम कृत्रिम उपग्रह को धरती की अंडाकार लघु कक्षा (लगभग ५७७ किलोमीटर की दूरी पर) में सफलता पूर्वक स्थापित किया गया और पहली बार धरती को अपने चाँद के अलावा एक दूसरा उपग्रह मिला. इस उपग्रह का प्रक्षेपण साईट नं. 1 (बाद में गागरिन साईट नाम दिया gaya) से किया गया था. 


स्पुतनिक ५८ सेंटीमीटर व्यास का एक गोलाकार मानव निर्मित उपग्रह था जिसमें रेडियो पल्स को धरती पर भेजने के लिए कुल चार रेडियो ऐन्टेना लगे हुए थे. अन्तरिक्ष में सोवियत संघ की इस लम्बी छलांग ने चिर प्रतिद्वंद्वी अमेरिका की नींद उड़ा दी और इसी के साथ अन्तरिक्ष अभियान की होड़ चल पड़ी. और चाँद महीनों में ही अमेरिका ने भी अपना प्रथम कृत्रिम उपग्रह ३१ जनवरी १९५८ को प्रक्षेपित कर दिया. 

स्पुतनिक ने धरती के उपरी वातावरण के बारे में जानकारी जुटाने में वैज्ञानिकों की मदद की. परन्तु केवल तीन महीने कक्षा में रहने के बाद ४ जनवरी १९५८ को धरती के वातावरण में प्रवेश के समय यह जल गया. 
भले ही स्पुतनिक का जीवन काल और कार्य-क्षेत्र सीमित था परन्तु अन्तरिक्ष की असीम संभावनाओं के द्वार खोलने वाला यह उपग्रह इतिहास में हमेशा के लिए अपनी गौरवशाली उपस्थिति दर्ज करा गया. 

अमेरिकी फिल्मों और कॉमिक्स में हमेशा अन्तरिक्ष यात्राओं की चर्चा होती रही, परन्तु पहला कदम उठाकर सोवियत संघ ने पूरी दुनिया को अचंभित कर दिया. इसके बाद लगी इस होड़ में नित नए उपग्रह प्रक्षेपण और मानव-अन्तरिक्ष अभियानों का सिलसिला चल निकला जिसने अन्तरिक्ष के बारे में हमारी समझ को और मजबूत किया.  

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