Friday, May 15, 2015

पुच्छल तारों के नामकरण की प्रणाली (Naming System of the Comets)

पिछले तीन पोस्ट में आपने पुच्छल तारों/धूमकेतुओं के बारे में जानकारी हासिल की. इसमें आपने अवश्य उनके जटिल से लगने वाले आधिकारिक नामों पर ध्यान दिया होगा जैसे 27 नवम्बर 2011 को टेरी लवजॉय द्वारा खोज गए धूमकेतु का नाम C/2011 W3 (Lovejoy) या उनके द्वारा 15 मार्च 2007 को खोजे गए धूमकेतु का नाम C/2007 E2. इन दोनों नामों में आपने ये तो जरूर पता लगा लिया होगा कि इस नाम में उनके खोज का वर्ष शामिल है, परन्तु बाकी चीजें. यहाँ C – कॉमेट को नहीं प्रदर्शित करता है, बल्कि इसका अलग ही मतलब है. 

मुझे लगता है कि आप इस दिलचस्प नामकरण प्रणाली को अवश्य जानना चाहेंगे, तो चलिए इसके बारे में विस्तारपूर्वक पता करते हैं – 




आधिकारिक प्रणाली के पूर्व - 

पूर्व में किसी प्रणाली के अभाव में धूमकेतुओं का नाम अलग-अलग ढंग से रखा जाता था. बींसवी शताब्दी के पूर्व ज्यादातर धूमकेतु उन्हें देखे जाने वाले वर्षों के द्वारा पुकारे जाते थे, जिसमें कभी-कभी कुछ विशेष शब्दों का समावेश कर दिया जाता था जैसे ग्रेट कॉमेट ऑफ़ 1680 या ग्रेट जनवरी कॉमेट ऑफ़ 1910. 

इनका नाम व्यक्तियों के नाम पर भी रखने का चलन रहा है. इस कड़ी में संभवतः पहला नाम सीज़र के कॉमेट का है, जो जूलियस सीज़र की हत्या के कुछ समय बाद नजर आया था. इस प्रकार किसी ख़ास घटना के समय दिखाई देने वाले धूमकेतु को नाम उस घटना से जोड़ दिया जाता था. कभी-कंही इन पिंडों के नाम इनके खोजकर्ता जैसे शूमेकर-लेवी या हेल-बॉप के नाम पर और कभी इनके परिक्रमा पथ की गणना करने वाले व्यक्ति पर रखा जाता था जैसे हैली का पुच्छल तारा.

मूल आधिकारिक प्रणाली – 1994  तक धूमकेतुओं को पहले एक अस्थायी नाम दिया जाता था जो कि इनके खोज के वर्ष के पश्चात अंग्रेजी वर्णमाला के छोटे अक्षर से मिलकर बना होता था जो वर्णमाला के क्रम में उस वर्ष खोजे गए धूमकेतुओं में उसके क्रम को प्रदर्शित करता था. जैसे Comet 1972c, वर्ष 1972 में खोजे गए तीसरे धूमकेतु को प्रदर्शित करता है. यहाँ यह ध्यान देना आवश्यक है कि यह नाम केवल अस्थायी रहता था. एक बार जब धूमकेतु सूर्य के सबसे नजदीकी स्थिति को पा लेता था और उसका परिक्रमा पथ निर्धारित हो जाता था तब उसको एक स्थायी नाम दिया जाता था. यह नाम उसके सूर्य-नीच के वर्ष के बाद उस वर्ष में ऐसा कर पाने वाले धूमकेतु के क्रम अनुसार रोमन अंक होता था. जैसे Comet 1969i, जो कि वर्ष 1969 का नौवा धूमकेतु था, 1970 में सूर्य-नीच पहुचने वाला दूसरा धूमकेतु था. अतः उसका स्थायी नाम Comet 1970 II रखा गया. 

वर्तमान प्रणाली - 

 परन्तु आने वाले वर्षों में आधुनिक यंत्रों के आविष्कार और इस क्षेत्र में कार्य करने वाले अनेक अन्वेषकों की वजह से धूमकेतुओं की खोज में लगातार वृद्धि दर्ज की गयी. अब नामकरण का मूल तरीका उपयोगी नहीं रह गया और साथ ही स्थायी नामकरण के लिए धूमकेतु की खोज और उसके सूर्य-नीच के बीच के लम्बे अंतराल को सहीं नहीं माना गया. इसलिए 1994 अंतर्राष्ट्रीय एस्ट्रोनॉमिकल संघ ने एक नए नामकरण प्रणाली को अपनाया जो वर्तमान में प्रयोग की जाती है. पूर्व प्रणाली के कुछ तत्व इसमें विद्यमान थे. वर्तमान प्रणाली में धूमकेतुओं का नामकरण उनके खोज के वर्ष के आधार पर किया जाता है जिसके बाद अंग्रेजी वर्णमाला का एक अक्षर प्रयुक्त होता है जो खोज के अर्द्ध-मास को दर्शाता है. साथ ही यदि उस अर्द्ध-मास में अन्य कोई धूमकेतु नजर आया होता है तो उस आधार पर इसका आंकिक क्रम भी दर्शाया जाता है.  

अर्द्ध-मास मुख्य रूप से अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में समय की गणना करने के लिए प्रयुक्त होने वाली इकाई है. इसमें हर माह को दो भागों में बांटा गया है – पहला भाग  1 से लेकर 15 तारीख तक और दूसरा भाग 16 से माह के अंत तक (28,29,30,31 माह के अनुसार)

नीचे सारिणी दी गयी है, यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है की I का प्रयोग नहीं किया गया है. H के बाद सीधे J का प्रयोग है, ऐसा I की 1 के साथ दुविधा की स्थिति से बचने के लिए किया गया है – 

अर्द्ध-मास (HALF-MONTHS)


माह अवधि
संकेत/कोड
1 जनवरी से 15 जनवरी
A
16 जनवरी से 31 जनवरी
B
1 फरवरी से 15 फरवरी
C
16 फरवरी से 28/29 फरवरी
D
1 मार्च से 15 मार्च
E
16 मार्च से 31 मार्च
F
1 अप्रैल से 15 अप्रैल
G
16 अप्रैल से 3० अप्रैल
H
1 मई से 15 मई
J
16 मई से 31 मई
K
1 जून से 15 जून
L
16 जून से 3 जून
M
1 जुलाई से 15 जुलाई
N
16 जुलाई से 31 जुलाई
O
1 अगस्त से 15 अगस्त
P
16 अगस्त से 31 अगस्त
Q
1 सितम्बर से 15 सितम्बर
R
16 सितम्बर से 3० सितम्बर
S
1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर
T
16 अक्टूबर से 31 अक्टूबर
U
1 नवम्बर से 15 नवम्बर
V
16 नवम्बर से 3० नवम्बर
W
1 दिसम्बर से 15 दिसम्बर
X
16 दिसम्बर से 31 दिसम्बर
Y


साथ ही धूमकेतुओं की प्रकृति के आधार पर इस नाम के पहले निम्नलिखित में से कोई एक कोड भी लिखा जाता है – 
P/  दर्शाता है की ये आवर्ती (निश्चित अंतराल में वापस आने वाला) धूमकेतु है. वैसे इस सम्बन्ध में केवल उन्हीं धूमकेतुओं को आवर्ती माना जाता है जिनकी परिक्रमा अवधि २०० साल से कम हो या फिर उनके कम-से-कम दो सूर्य-नीच की स्थिति का अवलोकन किया जा चूका हो. जब धूमकेतु अपनी दूसरा सौर-चक्कर पूर्ण कर लेता है तो उसके नाम के इस संकेत के आगे उसके खोज का क्रम भी जुड़ जाता है. जैसे हैली पहला आवर्ती धूमकेतु है जिसका पता लगाया गया इसलिए उसका नाम रखा गया - 1P/1682 Q1.
C/ दर्शाता है कि धूमकेतु अनावर्ती है या फिर उपरोक्त परिभाषा के अनुसार आवर्ती नहीं है.
X/ का अर्थ है कि इस धूमकेतु की परिक्रमा अवधि या पथ की विश्वसनीय गणना नहीं हो पायी है, सामान्यतः इसके अंतर्गत ऐतिहासिक धूमकेतु आते हैं, जिनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती और वे इतिहास के किसी काल-खंड में देखे गए हों.
D/ का प्रयोग ऐसे आवर्ती धूमकेतु के लिए किया जाता है जो अब या तो लापता हो गया है या फिर सूर्य से नजदीकी मुठभेड़ में टूट कर बिखर गया हो.
A/ उस धूमकेतु के लिए प्रयोग किया जाता है जो गलती से धूमकेतु मान लिया गया था हो, परन्तु बाद में उसकी पहचान  क्षुद्र ग्रह के रूप में हुयी हो. वैसे इसका प्रयोग कम ही किया जाता है. 

चलिए अब इस पूरे नियमों के आधार पर हमारे पूर्व लेख के धूमकेतुओं का नामकरण देखें और पता लगायें कि उनसे इन रहस्यमय पिंडों के बारे में क्या जानकारी मिलती है –
जैसा कि 27 नवम्बर 2011 को टेरी लवजॉय द्वारा खोज गए धूमकेतु का नाम C/2011 W3 (Lovejoy) था. तो इसकी शुरुआत C/ से होती है. इस आधार पर यह या तो अनावर्ती धूमकेतु है या फिर ऐसा आवर्ती धूमकेतु जिसकी परिक्रमा अवधि दो सौ वर्षों से अधिक है. (इस धूमकेतु की परिक्रमा अवधि 622 वर्षों के करीब मानी गयी है तथा साथ ही अब तक ये केवल एक बार ही सूर्य के समीप देखा गया है). 2011 इसकी खोज का वर्ष है. जैसा की अर्द्ध-मास की सारिणी से स्पष्ट है की यह 16 से 30 नवम्बर के बीच खोजा गया था (27 नवम्बर 2011). 3 का अर्थ है कि इस अर्ध-मास में खोजा जाने वाला यह तीसरा धूमकेतु था. कोष्टक में दिखाया गया नाम इसके खोजकर्ता का है.

तो आशा है कि कौतुहल से भरे इन सौर-मंडल के सदस्यों के दिलचस्प नामकरण की जानकारी आपको अवश्य पसंद आयी होगी. जल्द ही सौर-मंडल से सम्बंधित ज्ञानवर्धक लेखों के साथ...

1 comment:

  1. check out the recent rosetta discovery,which is all set to transform our knowledge about comets!!

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इस लेख और ब्लॉग के सम्बन्ध में आपके मूल्यवान विचारों का स्वागत है -
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