Sunday, May 17, 2015

तारामंडल या नक्षत्र (Constellations)

प्रमुख 88 तारामंडल
अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तारामंडल या नक्षत्र (Constellation) का तात्पर्य आकाश में दिखने वाले तारों के किसी निश्चित समूह से है। प्राचीन भारतीय सम्भताओं में इन्हें ‘नक्षत्र’ पुकारा जाता था. विशाल रात्रिकालीन आसमान में अनगिनत तारे अपनी खूबसूरती बिखेरते रहते हैं. इन तारों को गिनना न तो संभव है और ना ही सामान्य रूप से व्यावहारिक. परन्तु कुछ तारे सदैव एक समूह में दिखाए देते हैं इसलिए विश्व की विभिन्न सभ्यताओं नें इन तारे समूहों के सदस्य तारों के मध्य में कल्पित रेखाएँ खींचकर इनमें किसी निश्चित आकृतियाँ की कल्पना की है और पहचान हेतु एक नाम भी प्रदान किया है. 

जैसे भारत में सर्वाधिक पहचाने जाने वाला सात तारों का समूह ‘सप्तर्षि’ जिसे कहीं-कहीं ‘खटिया-चोर’ भी कहा जाता है. अंग्रेजी में इसे उर्सा-मेजर (Ursa Major) कहा जाता है. वैसे आधुनिक काल के खगोलशास्त्र में तारामंडल उन्ही तारों के समूहों को कहा जाता है जिन समूहों पर अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ  ने सहमती प्रदान की हो। अब तक कुल 88 तारासमूहों का नाम महत्वपूर्ण समूहों में सम्मिलित है.

जहां प्राचीन समय में तारामंडल से तात्पर्य केवल तारों के ऐसे समूह से था जिसका एक निश्चित आकार माना गया था; वहीँ आधुनिक युग में किसी तारामंडल के इर्द-गिर्द के क्षेत्र को भी उसी तारामंडल का नाम दे दिया जाता है। इस पद्धिति में पूरे खगोलीय गोले को अलग-अलग तारामंडलों में विभाजित कर दिया गया है। इसका लाभ यह होता है कि अगर आकाश में किसी खगोलीय पिंड की स्थिति निर्धारित करनी हो तो यह बताया जाता है कि वह किस तारामंडल में स्थित है. 

शिकारी (Orion) तथा सप्तर्षि (Ursa Major) सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाले तारामंडल हैं.

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