Wednesday, April 1, 2015

दिन तथा रात कैसे होते हैं?

दिन तथा रात कैसे होते हैं?
दिन और रात का होना हमारे दैनिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है. सूर्योदय के साथ प्रारंभ दिन का अंत सूर्यास्त के साथ होता है और तब चंद्रोदय का समय होता है. कभी आपने सोचा है कि दिन और रात का ये चक्र लगातार कैसे चलता रहता है? क्या कारण है दिन-रात की घटना के पीछे? या सूर्य रोज़ सुबह कहाँ से आता है और कहाँ जाता है? रात होते ही चाँद और तारे कहाँ से आ जाते हैं और सुबह होते ही कहाँ चले जाते हैं? चलिए एक सरल सी खगोलीय घटना की मदद से इन सभी प्रश्नों के उत्तर खोजते हैं.

जैसा की हम जानते हैं कि धरती पर प्रकाश का मुख्य स्त्रोत हमारे सौर परिवार का मुखिया हमारा सूर्य है. पृथ्वी अपने अक्ष पर लगातार घूमती रहती है और 24 घंटों में वह एक बार अपने स्थान पर पूरा घूम जाती है. इस प्रक्रिया में उसका आधा भाग सूर्य के सामने आते रहता है और उस भाग में सूर्य का प्रकाश पड़ता है – जो भाग सूर्य के सामने रहता है वह रोशनी यानी दिन होता है और आधा भाग जो पीछे रह जाता है वहां अँधेरा यानी रात रहती है. जैसा हमने देखा कि पृथ्वी तो लगातार घूम रही है इसलिए दिन और रात लगातार बदलते रहते हैं. मान लीजिये जिस भाग पे हम खड़े हैं वो धीरे-धीरे पृथ्वी के घूमने के कारण सूर्य के सामने आता चला जाता है और वहां दिन कि शुरुआत होती है. क्रमशः यह भाग घूमकर फिर पीछे चला जाता है और वहां रात हो जाती है. बस इतनी सी बात है दिन और रात होने की.

अब आप कह सकते है की सूर्य सुबह पूर्व से उगता है और शाम को अस्त होता है. कहने का मतलब चलता हुआ तो सूर्य नजर आता है और हम जिस स्थान पर खड़े हैं वह स्थिर नजर आती है. तो सच्चाई क्या है? आखिर सूर्य चलता हुआ कैसे नजर आता है?
 
याद कीजिये जब आप ट्रेन या बस में बैठकर यात्रा कर रहे होते हैं तो आपने अनुभव किया होगा की बाहर की चीज़ें जैसे पेड़-पौधे, मकान आदि पीछे की ओर भागते दिखाई देते हैं, जबकि वो स्थिर हैं और हम आगे जा रहे हैं. ठीक वैसे ही पृथ्वी सूर्य के सामने घूम रही है परन्तु हमें लगता है की सूर्य घूम रहा है. 

तो भला पृथ्वी किस दिशा में घूमती है?
पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है. इसलिए ऊपर दिए उदाहरण की तरह हमें सूर्य विपरीत दिशा में यानी पूर्व से पश्चिम की ओर जाता प्रतीत होता है. 

सुबह, दोपहर, शाम और रात का चक्र –
आपने टॉर्च को लेकर उसे चालू किया होगा तो शायद आपने गौर किया हो कि यदि हम टॉर्च को सीधा रखकर प्रकाश डाले तो उस जगह तेज प्रकाश का गोल घेरा बन जाता है और यदि टॉर्च को आड़ा याने तिरछा पकड़ें तो प्रकाश का क्षेत्र लम्बा और अंडाकार हो जाएगा परन्तु प्रकाश की तीव्रता कम होगी.

ठीक यही बात सूर्य के साथ भी है. सुबह के समय जब सूर्य उदय होता है और क्षितिज के निकट होता है तो प्रथ्वी पर उसकी किरणें तिरछी पड़ती हैं. तब सूर्य की किरणें बड़े हिस्से में फ़ैल जाती हैं. इस समय किसी भी चीज की परछाई लम्बी होगी. धूप हलकी होगी और गर्मी भी कम होती है.

जैसे-जैसे सूर्य आकाश में ऊपर आता है, यानी पृथ्वी के उस भाग में दोपहर होती है, सूर्य की किरणें सीधी होती जाती हैं. इसलिए तेज प्रकाश और अधिक गर्मी मिलती है.

शाम तक सूर्य पुनः क्षितिज के निकट होता है और उसकी किरणें फिर पृथ्वी पर तिरछी पड़ती हैं. रात में सूर्य चूँकि दूसरी ओर होता है इसलिए प्रकाश नहीं मिलता और ठंडक बढ़ जाती है.

रात में चाँद- तारे आते कहाँ से हैं ?
चाँद-तारे तो दिन में भी होते हैं पर सूर्य की तेज रोशनी की तुलना में उनकी रोशनी बेहद कम होती है, इसलिए वे दिन के उजाले में नजर नहीं आते. रात होने पर जब सूर्य का तेज प्रकाश नहीं होता तब ये कम प्रकाश वाले पिंड हमें नजर आने लगते हैं. वैसे ये समझना गलत होगा कि इन तारों का प्रकाश सूर्य से कम है, ऐसे अनेकों तारे हैं जो सूर्य से कहीं अधिक प्रकाश वाले हैं. पर चूँकि वे हमसे बेहद दूर हैं इसलिए रोशनी की एक बिंदु से ज्यादा कुछ नहीं नजर आते . 

तो ये रही दिन-रात; सूर्योदय-दोपहर-सूर्यास्त और तारों के दिखने के पीछे की बातें. अन्तरिक्ष विज्ञान ब्लॉग पर ऐसे ही अनेक सवालों के जवाब हमारी अपनी राष्ट्रभाषा में पहुचाने के इस प्रयास में सभी पाठकों से सहयोग की आशा के साथ...

1 comment:

  1. लाभप्रद जानकारी देने के लिए आपका शुक्रिया....

    ReplyDelete

इस लेख और ब्लॉग के सम्बन्ध में आपके मूल्यवान विचारों का स्वागत है -
----------------------------------------------------------------------------------------------