Tuesday, August 6, 2013

मंगल (Mars)

मंगल ग्रह
क्रम के अनुसार मंगल सौरमंडल का चौथा और आकार में बुध के बाद दूसरा सबसे छोटा ग्रह है. युद्ध के रोमन देवता मार्स के ऊपर रखे गए इस ग्रह को ‘लाल ग्रह’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसकी सतह पर आयरन ऑक्साइड की अधिकता इसे लाल आभा प्रदान करती है.

मंगल को प्रागैतिहासिक काल से जाना जाता है. धरती के बाहर जीवन की परिकल्पना करने वाले वैज्ञानिकों के लिए मंगल सर्वश्रेष्ठ संसार रहा है. लोवेल दे द्वारा मंगल की सतह पर निरिक्षण के दौरान पाए गई नहरों जैसी आकृतियों ने इस कल्पना को और बल दिया लेकिन अंतरिक्ष अभियानों ने इन कल्पनाओं को गलत साबित कर दिया. परन्तु इसके बाद भी मंगल मानव बस्ती बसने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त और सुगम ग्रह माना जाता है और इस दिशा में लगातार प्रयास भी हो रहे हैं.

मार्स क्यूरोसिटी रोवर
मंगल अभियान की शुरुआत में हुयी जब मैरिनर श्रृंखला का मेरिनर -४ सन १९६५ में मंगल के पास पंहुचा. इसके पश्चात् मार्स-२ नाम का प्रोब मंगल की धरती पर उतरने में सफल हुआ. वाइकिंग श्रृंखला के दो यान भी मंगल अभियान से जुड़े और १९९७ में मार्स पाथ फाइंडर मंगल की धरती पर उतरा. २००४ में मार्स एक्सपीडिशन रोवर और पुनः २००८७ में फीनिक्स अभियान मंगल पर जीवन और जीवन से जुडी संभावनाओं की तलाश में उतारे गये.

मंगल ग्रह की आतंरिक संरचना के बारे में अभी निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. यह माना गया है की इसके केन्द्रक में पिघली चट्टानों का मेंटल है. इसके ऊपर ३५ से लेकर ८० किलोमीटर की भू-पर्पटी है. वैसे मंगल का घनत्व बाकी चट्टानी ग्रहों में सबसे कम है. इसके सतह पर पानी होने के संकेत मिले हैं. ऐसा माना जाता है की कई लाख साल पहले यहाँ पर भी समुद्र थे होंगे. मंगल के ध्रुवों पर पानी बर्फ के रूप में प्राप्त हुयी है और भी कई जगहों पर बर्फ होने का अनुमान है. ये बर्फ पानी और कार्बन डाई ऑक्साइड की है.

ओलम्पस माँन
मंगल की सतह विविधताओं से भरी हुयी है. २४ किलोमीटर ऊँचा ओलम्पस मान सौर मंडल में खोजा गया सबसे बड़ा पर्वत है. वहीँ थारसिस १० किलोमीटर ऊँचा और ४००० किलोमीटर के दायरे में फैला एक वृहद् पठार है. और वैलेस ४००० किलोमीटर में फैला गहरी घाटियों की श्रृंखला है.

१९९६ में मंगल से सम्बन्घित उल्का पिंड में सूक्ष्म जीव होने के सबूत मिले थे परन्तु इस सम्बन्ध में विवाद है. अगर मंगल पर जीवन है तो भी वह अभी तक अज्ञात है.

मंगल पर चुम्बकीय क्षेत्र काफी कमजोर है. ग्लोबल सर्वेयर के अनुसार प्राप्त ये जानकारी मंगल पर किसी समय रहे विस्तृत चुम्बकीय क्षेत्र होने का अनुमान देती है.

मंगल के दो उपग्रह हैं – फोबोस और डेमोस. ये दोनों ही उपग्रह अत्यंत छोटे हैं. इनके खोज का श्रेय हॉल को जाता है. जिन्होंने १८७७ में इन दोनों चंद्रमाओं की खोज की थी.

No comments:

Post a Comment

इस लेख और ब्लॉग के सम्बन्ध में आपके मूल्यवान विचारों का स्वागत है -
----------------------------------------------------------------------------------------------