बृहस्पति ग्रह |
बृहस्पति के सबसे पहला निरिक्षण गैलिलियो ने दूरबीन से किया था साथ ही उस समय संभव अपनी दूरबीन से उन्होंने इसके चार प्रमुख चंद्रमाओं – आयो, युरोपा, गेनिमेड और कैलिस्टो की भी खोज कर ली थी. गलीलियो के द्वारा खोजे जाने के कारण उनके सम्मानस्वरूप इन चंद्रमाओं को गलिलियाँ चन्द्रमा भी कहते हैं.
बृहस्पति के लिए प्रथम अभियान पायनियर १० के साथ प्रारंभ हुआ. पायनियर की अगली कड़ी पायनियर ११ के बाद वायेजर श्रंखला के दोनों यान इस ग्रह का अध्ययन करते हुए गुजरे. गैलिलियो अभियान के अंतर्गत गैलिलियो यान पूरे आठ वर्षों तक इसकी परिक्रमा करता रहा और जरूरी आंकड़े भेजता रहा.
बृहस्पति को कुछ वैज्ञानिक असफल सितारा भी कहते हैं क्योंकि इसकी आतंरिक संरचना सूर्य की तरह की ही है जिसमे हाइड्रोजन और हीलियम प्रचुर मात्रा में उपस्थित हैं, परन्तु इसमें नाभिकीय संविलियन के लायक उर्जा नहीं है अन्यथा बृहस्पति स्वयं एक सितारा होता.
बृहस्पति का चुम्बकीय क्षेत्र अन्यंत शक्तिशाली है जो ६५ करोड़ किलोमीटर तक फैला हुआ है. यह चुम्बकीय क्षेत्र शनि ग्रह की कक्षा तक फैला हुआ है, इसके सभी उपग्रह इसी क्षेत्र के अन्दर स्थित हैं.
वोएजर १ से बृहस्पति में भी शनि जैसे वलयों का पता चला है जो चट्टानों के धुल कणों से बने हैं.
बृहस्पति, उपग्रहों के मामले में भी सबसे बड़ा परिवार रखता है, अभी तक इसके ६३ उपग्रह आधिकारिक रूप से ज्ञात किये जा चुके हैं.
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