Friday, August 9, 2013

आयो (Io)

गैलिलियो यान द्वारा भेजी जानकारी के आधार पर आयो का चित्र
आयो, बृहस्पति के गलिलियन चंद्रमाओं में से एक है. क्रम के आधार पर यह बृहस्पति का पांचवा तथा आकर में  तीसरा बड़ा उपग्रह है. १६१० में गलीलियो के द्वारा खोजे गए हमारे चन्द्रमा से भी बड़े इस उपग्रह का नाम ज्यूस की अविवाहित प्रेमिका आयो के नाम पर रखा गया था.


अधिकतर चंद्रमाओं के विपरीत आयो की सतह काफी सक्रीय है. इसकी संरचना किसी चट्टानी ग्रह की तरह की है. वायेजर यान ने जब इस उपग्रह की तसवीरें भेजी तो अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए ये एक आश्चर्य की तरह था – क्योंकि अनुमान के विपरीत आयो पर उल्का पिंडो से बने क्रेटरों की संख्या काफी कम थी. वहीँ वायेजर को यहाँ पर सैकड़ों सक्रीय ज्वालामुखी भी मिले जिनकी राख सैकड़ों किलोमीटर ऊपर तक उठती थी. वोएजर १ और २ के द्वारा ली गयी तस्वीरों में इन ज्वालामुखियों की स्थिति में काफी अंतर है जो यह दर्शाती है की आयो की सतह नित – परिवर्तनशील है.
सक्रिय ज्वालामुखीय लावा

वैज्ञानिकों का मानना है की आयो की यह सक्रियता आयो, गेनीमेड, युरोपा और बृहस्पति के मध्य गुरुत्वीय खिचाव के कारण है. एक बेहद रोचक बात यह है की आयो बृहस्पति की चुम्बकीय रेखाओं के काटता है जिसके कारण यहाँ कई ट्रिलियन वाट तक की विद्युत् उर्जा उत्पन्न होती है जो कि अंततः आयो की सतह को क्षरित करती है.

आयो की सतह विभिन्नताओ से भरी हुयी है. जहाँ एक ओर ज्वालामुखी हैं तो दूसरी ओर सामान्य पर्वत भी यहाँ मौजूद हैं. पिघली हुयी गंधक की झीले और नदियाँ इस उपग्रह को वैज्ञानिकों के लिए रोचक बनती हैं. आयो का अपना चुम्बकीय क्षेत्र है और सल्फर डाई ऑक्साइड से बना वातावरण भी. चारों गलिलियन चंद्रमाओं में से केवल आयो में पानी नहीं है जो शायद उसकी बृहस्पति की निकटता और ऊष्मा के कारण वाष्पित हो चूका है. 

No comments:

Post a Comment

इस लेख और ब्लॉग के सम्बन्ध में आपके मूल्यवान विचारों का स्वागत है -
----------------------------------------------------------------------------------------------