Saturday, August 10, 2013

शनि (Saturn)

शनि गैस दानव ग्रहों में से दूसरा, सूर्य से दूरी के क्रम में छठवां तथा आकर की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा गृह है. शनि का नामकरण कृषि के रोमन देवता सैटर्न पर किया गया है. हिन्दू धर्म में शनि देव के रूप में स्थापित हैं.

शनि को प्रागैतिहासिक काल से जाना जाता रहा है. गैलिलियो ने इसे दूरबीन से सबसे पहले १६१० में देखा था, तब उन्हें इसे वलय गृह के कानों की तरह नजर आये थे. बाद में शक्तिशाली दूरबीनों और अंतरिक्ष यानों ने पता गलाया की ये शनि के सुन्दर वलय हैं. पृथ्वी से निरिक्षण करने पर ये वलय अलग-अलग काल में अलग-अलग नजर आते हैं. यहाँ धयान देने वाली बात यह है कि सभी गैस दानव ग्रहों में कमोबेश वलय पाए जाते हैं लेकिन शनि के वलय सबसे अधिक विकसित और दृष्टिगत हैं.
१९७९ में सर्वप्रथम पायनियर ११ ने शनिं की यात्रा की थी. उसके पश्चात् अभी तक के सर्वाधिक सफल अंतरिक्ष अभियान वोएजर १ तथा २ ने भी शनि का निरिक्षण किया. कासिनी मिशन पूरे चार वर्षों तक शनि की परिक्रमा कर उपयोगी जानकारी भेजता रहा.

शनि मुख्यतः हाइड्रोजन और हीलियम से बना है जिनका अनुपात ३:१ है. इस तरह ये बृहस्पति के समकक्ष है.

शनि के वलयों में से ए और बी पृथ्वी से देखे जा सकते हैं. सी नामक धुंधला वलय भी शक्तिशाली दूरबीन से देखा जा सकता है. प्रथम दो वलयों के बीच की दूरी को कासिनी डिवीज़न कहा जाता है. वोएजर अभियानों ने शनि के अनेक वलयों की खोज की है जो पृथ्वी से किये निरिक्षण में अज्ञात थे. शनि के वलय छोटे-छोटे कणों से मिलकर बने हैं जिनके कुछ सेंटीमीटर से लेकर किलोमीटर तक के कण संभव हैं. शनि के वलयों का घनत्व काफी कम हैं. इन वलयों के मध्य कुछ रहस्यमय आकृतियाँ भी पायी गयी हैं जो शायद चुम्बकीय क्षेत्रों के कारण बनी हो सकती हैं.

शनि के वलय के बारे में दो सिद्धांत प्रचलित हैं. प्रथम में यह माना जाता हैं कि ये वलय शनि के किसी पूर्व चन्द्रमा के अवशेष हैं जो किसी कारण से नष्ट हो गया और उसके टुकड़े शनि के गुरुत्वाकर्षण के कारण रिंग की शक्ल में व्यवस्थित हो गए हैं. दूसरा विचार यह कहता है कि शनि के बनने के समय उपस्थित नेबुला पदार्थों जिससे शनि का जन्म हुआ है, ये वलय उन्हीं पदार्थों के अवशेष हैं जो शनि में परिवर्तित नहीं हो पाए थे.
शनि के  कुछ चन्द्रमा गडरिये (शेफर्ड) की तरह का व्यवहार करते हैं अर्थात ये वलयों को बिखरने से रोकते हैं तथा उन्हें बांधकर रखते हैं.

शनि के कम से कम १५० चन्द्रमा माने जाते हैं जिनमे से वर्तमान में ५३ के नाम अधिकारिक रूप से रखे जा चुके हैं. शनि का सबसे बड़ा चन्द्रमा टाइटन है जो खोज के बाद से ही वैज्ञानिकों के लिए कौतुहल का विषय रहा है.
शनि के चंद्रमों की सूची और सम्बंधित जानकारी जल्द ही.


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