Saturday, August 24, 2013

C/2012 S1 या ISON पुच्छल तारा इस वर्ष धरती के पास से गुजरेगा

बहुत जल्द एक नया पुच्छल तारा धरती के निकट से गुजरेगा
हबल स्पेस टेलिस्कोप द्वारा १० अप्रैल २०१३ को ली गयी तस्वीर

C/2012 S1 या Comet ISON एक सन ग्रेज़िंग पुच्छल तारा है जिसकी खोज २१ सितम्बर २०१२ को विताली नेव्स्की और अर्तीयोम नोविचोनोक के द्वारा की गयी है. इसकी खोज इंटरनेशनल साइंटिफिक ऑप्टिकल नेटवर्क (ISON) के रिफ्लेक्टर की सहायता से की गयी थी. इस खोज की आधिकारिक घोषणा माइनर प्लेनेट सेंटर  के द्वारा २४ सितम्बर २०१२ को कर दी गयी.

इस पुच्छल तारे का औपचारिक नामकरण किया गया था . यहाँ c का अर्थ है कि यह  अनावर्ती (पुनः ना आने वाला) पुच्छल तारा है.  इसके पश्चात् लिखा २०१२ इसकी खोज का वर्ष है. S यह बताता है कि इसकी खोज सितम्बर माह में की गयी है तथा अंत का १ यह दर्शाता है कि यह उस माह में खोजा गया प्रथम पुच्छल तारा है. कॉमेट के नाम में रखा गया ISON उस संस्था का नाम है जहां यह खोज की गयी है जो कि रूस में स्थित है.  वैसे ज्यादातर धूमकेतुओं का नाम उनके खोज कर्ताओं के नाम पर रखा जाता है परन्तु यहाँ संस्थान के नाम को प्राथमिकता दी गयी है.
दिसम्बर २०१३ को कॉमेट की स्थिति और पथ 

C/2012 S1 के २८ नवम्बर २०१३ को सूर्य के सर्वाधिक निकट पहुचने की सम्भावना है जब उसकी सूर्य के केंद्र से  दूरी महज १८ लाख किलोमीटर ही रह जायेगी. इस स्थिति में यह पुच्छल तारा सूर्य के धरातल से केवल ११ लाख किलोमीटर की दूरी पर होगा. ऐसे पुच्छल तारों को सूर्य के बहुत नजदीक से गुजरते हैं सन ग्रेज़र्स कहते हैं.  इसका प्रक्षेपण पथ परवलयाकार है जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है की शायद यह कोई नया पुच्छल तारा है जिसने कि ऊर्ट बादलों से जन्म लिया है. यह पुच्छल तारा १ अक्टूबर २०१३ को मंगल और २६ दिसम्बर २०१३ को धरती के सबसे नजदीक होगा. इसके नाभिक का आकर केवल ५ किलोमीटर है ऐसा स्विफ्ट द्वारा अवलोकन से पता चलता है.

खुशकिस्मती से धरती इसके परिक्रमपथ से १४ या १५ जनवरी २०१४ को गुजरेगी जब कॉमेट उस जगह  से काफी पहले गुजर चुका होगा. परिक्रमा पथ में पुच्छल तारे के केन्द्रक के गुजरने के पश्चात् भी लगभग १०० दिनों तक छोटे-छोटे कणों के अवशेष मौजूद होने की संभावना है जिससे धरती के वातावरण में धूल कणों के प्रचुर मात्रा में पहुचने की सम्भावना है.


इसकी खोज के समय C/2012 S1 का मैग्नीटयूड लगभग १८.८ था जो कि नग्न आखों से देखने के लिए बेहद कम था. परन्तु जैसा कि सामान्यतः कोमेट्स के साथ होता है जैसे जैसे यह सूर्य के निकट जाता जाएगा इसकी चमक बढती जायेगी. सितम्बर २०१३ में इसकी चमक सामान्य दूरदर्शी  से देखे जा सकने लायक बढ़ जाने की सम्भावना व्यक्त की गयी है परन्तु फिर भी नग्न आखों से देखने के लिए हमें नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक इंतज़ार करना होगा. उम्मीद है कि यह तब जनवरी २०१४ तक देखा जा सकता है.

यद्यपि C/2012 S1 सूर्य के बेहद नजदीक से गुजरेगा और इसकी चमक कई गुना बढ़ जायेगी परन्तु सूर्य की तेज रौशनी में इसे देखना बेहद कठिन होगा. दिसम्बर में इसे एक लम्बी पूँछ के साथ देखे जा सकने की सम्भावना है जब इसका अध्ययन ज्यादा आसान होगा.  प्रारंभिक गणनाओं में इसके पूर्ण चन्द्र से भी ज्यादा चमकीले होने की सम्भावना जताई गयी थी परन्तु वर्तमान निरीक्षणों और इस कॉमेट की प्रकृति के अनुसार इसके शुक्र गृह से ज्यादा चमकदार होने के आसार बहुत कम है.


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