Saturday, August 31, 2019

भारतीय वैज्ञानिक शिशिर कुमार मित्रा के नाम पर चाँद का क्रेटर


अन्तरिक्ष के क्षेत्र में भारत का नया दूत चंद्रयान-2 अपने ऐतिहासिक लक्ष्य से बस कुछ ही दूर है और चन्द्रमा के अनजाने हिस्से में उतरने और अध्ययन के पहले वह अपने अत्याधुनिक मैपिंग कैमरे से चन्द्रमा की शानदार तस्वीरें भेज रहा है – इन तस्वीरों में चन्द्रमा के गड्ढों (क्रेटरों) की अनेक तस्वीरें हैं. इन्हीं क्रेटरों की तस्वीरों में एक क्रेटर है – चंद्रा क्रेटर जो कि भारत के महान वैज्ञानिक श्री शिशिर कुमार मित्रा के नाम पर सम्मानपूर्वक रखा गया है. आइये इनके बारे में जानने का प्रयास करते हैं -


शिशिर कुमार मित्रा जी का जन्म वर्ष 1890 में बंगाल प्रेसिडेन्सी में हुआ था. आशुतोष मुखर्जी, डॉ. सीवी रमन, चार्ल्स फैब्री, मैरी क्यूरी और कैमिल गटन जैसे विश्व के महान वैज्ञानिकों के साथ उन्होंने कार्य किया. मित्रा जी ने ओजोन परत के क्षेत्र में विस्तृत शोध व विश्लेषण के पश्चात् पृथ्वी के वायुमंडल के बारे में सिद्धांत दिए. उन्होंने पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में स्थित ई लेयर और एफ लेयर के बारे में अनेक नवीन तथ्यों को उजागर किया. अपने शोध उपरी वायुमंडल (TheUpper Atmosphere) के प्रकाशन के बाद उनकी गणना चर्चित भौतिक वैज्ञनिकों में होने लगी.



भारत में सर्वप्रथम मित्रा जी ही कलकत्ता स्थित विज्ञान यूनिवर्सिटी कॉलेज की अपनी प्रयोगशाला से मित्रा रेडियो ट्रां​समिशन के ज़रिए 1926 में कार्यक्रम जारी करते थे.


1927 में पहली बार भारतीय ब्रॉडकास्टिंग कंपनी की स्थापना हुई थी जो बाद में ऑल इंडिया रेडियो के रूप में स्थापित किया गया था.



अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय यूनियन ने जब खोजे गए आकाशीय पिंडों के नामकरण का निर्णय लिया तो एक समूह की स्थापना की गयी जिसके आधार पर पद्म भूषण से सम्मानित मित्रा के नाम पर एक क्रेटर का नाम रखे जाने की घोषणा 1970 में की थी. वैसे उनको ये सम्मान मृत्यु के सात साल बाद मिला.


वह समय भारत अन्तरिक्ष क्षेत्र में बस शुरुआत ही कर रहा था, परन्तु आज हमने चन्द्रमा, मंगल के प्रथम सफल अभियानों के बाद पुनः चाँद के अनजाने हिस्से के अध्ययन (चंद्रयान-2), सूर्य के लिए (आदित्य-1) और मानव मिशन के लिए (गगनयान) के साथ अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में देश और ध्वज का नाम प्रकाशित कर लिए है.

भारतीय वैज्ञानिकों, जन और इसरो को इस उपलब्धि हेतु – जय भारत माँ

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