(*इस अभियान का नाम फ़्रांसिसी भाषा से लिया गया है, इसलिए हो सकता है कि हिंदी में मैंने जो उच्चारण लिखा हो वो सहीं ना हो)
क्या आप जानते हैं कि सोवियत संघ और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के बाद वह तीसरा देश कौन था जिसने सफलतापूर्वक उपग्रह का निर्माण और प्रक्षेपण किया. वह और कोई नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का पडोसी देश कनाडा है. कनाडा ने यह गौरवशाली उपलब्धि सितम्बर 28, 1962 के दिन हासिल की थी, जब उसने अपना पहला सॅटॅलाइट एलोयेट-I (Alouette-I) प्रक्षेपित किया था. वैसे इसके प्रक्षेपण के पहले ही ब्रिटेन का उपग्रह एरिएल-1 तैयार हो चुका था परन्तु उसका निर्माण ब्रिटेन ने नहीं बल्कि अमेरिका की नासा ने किया था. इस लिहाज़ से कार्यरत उपग्रह के आधार पर वह चौथा देश बना. वैसे एलोयेट एक फ्रांसीसी शब्द है जिसका अर्थ है स्काईलार्क या चकवा पक्षी.
एलोयेट-1 को धरती के आयनमंडल के अध्ययन के लिए बनाया गया था. आयनमंडल धरती के वायुमंडल का सबसे उपरी भाग होता है (सतह से लगभग 80 किलोमीटर से प्रारंभ) जो सूर्य और आकाशीय विकिरण से आयनित होता है. यहाँ इतना जान लेना बस आवश्यक है कि धरती से चली रेडियो तरंगें इसी मंडल से परावर्तित होकर पुनः पृथ्वी पर लौट आती हैं जिससे रेडियो प्रसारण संभव हो पाता है. इस अभियान में ऐसी 700 विभिन्न आवृत्तियों की रेडियो तरंगों का अध्ययन किया गया था.
यहाँ बताना आवश्यक है कि यह अभियान अपने समय से काफी आगे का था. यहाँ तक कि इस क्षेत्र के दिग्गज नासा के वैज्ञानिक भी तात्कालिक तकनीकी की सक्षमता को लेकर दुविधा में थे. कनाडा ने इस अभियान के लिए अपने पडोसी देश अमेरिका को सहयोगी के रूप में चुना था और नासा भी अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के साथ काम करने को तत्पर था ताकि इस क्षेत्र में अधिकाधिक सहयोग प्राप्त किया जा सके. कनाडा के लिए तो यह उसके अपने अन्तरिक्ष अनुसन्धान का एक सुनहरा अवसर था. बाद में ब्रिटेन भी इस अभियान में साझीदार बना और उसने दो भू-केन्द्रों से निगरानी और अध्ययन हेतु सहयोग दिया. इस तरह से यह 3 देशों का एक शानदार कार्यक्रम था.
एक और जरूरी बात – चूँकि यह शुरूआती प्रयास था इसलिए इस उपग्रह को दो अलग-अलग इकाई के रूप में बनाया गया था. अगर पहला असफल हो तो दुसरे का प्रयोग कर अभियान को पूरा किया जा सके. 3.५ वर्षों में ओटावा में इस अभियान के लिए 3 उपग्रह बनाये गए. S27-2 जो प्रोटोटाइप था यानि आदर्श मॉडल था. दूसरा S27-3 जो लांच किया जाना था और हुआ भी और तीसरा S27-4 जो कि बैकअप के लिए रखा गया था. इस तीसरे उपग्रह को यानि की बैकअप को और विकसित कर १९६५ में एलोयेट-2 के रूप में प्रक्षेपित किया गया.
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