Wednesday, December 23, 2015

अपोफिस (Apophis) - 2029/2036 में टकराव की आशंका के साथ पृथ्वी की ओर बढ़ रहा एक क्षुद्रग्रह

एशिया और उत्तरी अफ्रीका के लोगों को 13 अप्रैल 2029 की सुबह एक बेहद दिलचस्प नजारा देखने का सु-अवसर प्राप्त हो सकता है, जब एक एस्टेरोइड 99942 अपोफिस (Apophis) धरती से बेहद पास से केवल 20000 मील की दूरी से गुजरेगा. वैसे तो धरती के पास से अनेक एस्टेरोइड गुजरते रहे हैं और अनगिनत धरती के वायुमंडल में प्रवेश भी करते हैं. कई नष्ट हो जाते हैं तो कुछ नगण्य धरातल तक पहुचकर धरती को नुकसान भी पहुँचा चुके हैं, परन्तु 1000 फीट से भी अधिक व्यास वाले इस  एस्टेरोइड जितने बड़े एस्टेरोइड के धरती के इतने करीब से गुजरने की घटना लगभग डेढ़ हजार वर्षों में केवल एक बार ही होती है. 

यही कारण है कि वैज्ञानिक जगत इस नजदीकी मिलन का बड़ी बेसब्री से इन्तेजार कर रहे हैं क्योंकि यह क्षुद्र ग्रहों के अध्ययन के लिए अब तक का सबसे बेहतरीन अवसर प्रदान करेगी. परन्तु इस उत्साह में एक भय और आशंका भी शामिल है - वैज्ञानिकों के एक वर्ग के अनुसार इस नजदीकी मुलाक़ात में यह क्षुद्र गृह हमारी धरती को टकराकर उसे बहुत घातक नुक्सान पहुंचा सकता है, इस बात की सम्भावना चालीस में से एक की है, और अन्तरिक्ष पिंडों के मनचले स्वाभाव और अनिश्चितता को देखते हुए यह भय होना लाजिमी भी है. संभवतः इसलिए अपोफिस का नामकरण प्राचीन मिस्र के अन्धकार और अव्यवस्था के देवता पर रखा गया है. वैसे वैज्ञानिकों द्वारा पूर्व में इसका नामकरण 2004 MN4 किया गया था. वैसे एक अन्य अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि सूर्य परिक्रमा के पश्चात् २०३६ में यह पृथ्वी के परिक्रमा पथ से गुजरेगा तब एक नगण्य ही सहीं परन्तु इसकी धरती से टक्कर होने की आशंका रहेगी. 


इस घटना को नंगी आखों से देखा जा सकेगा, जैसे नासा के नियर अर्थ ऑब्जेक्ट प्रोग्राम के प्रबंधक डॉन येओमंस कहते हैं – “यह यकीनी तौर पर आकाश में दिखने वाली सबसे चमकीली वस्तु नहीं होगी, परन्तु यह आसानी से नंगी आखों से दिखाई देगी.”

वैज्ञानिकों को सबसे ज्यादा इन्तेजार इसकी आतंरिक संरचना को जानने के लिए है, क्योंकि इतने नजदीक से किसी क्षुद्रग्रह का गुजरना आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से बहुत सारे नए रहस्य उजागर कर सकता है. परन्तु यह भी सच है कि धरती के आधुनिकतम उपकरण भी पृथ्वी पर रहकर बहुत सी बातें पता नहीं कर सकते इसलिए इस क्षुद्र गृह के परिक्रमा पथ पर एक प्रोब स्थापित करने पर विचार किया जा सकता है, वैसे वर्तमान तक ऐसा कोई अभियान प्रस्तावित नहीं है. यहाँ एक बात यह भी है कि अगर यह वाकई पृथ्वी से टकरा सकता है तो इस बात की पुख्ता जानकारी और बचाव अभियान के लिए अभी से प्रयत्न करना होगा, परन्तु यह भी संभव है कि इस टकराव की आशंका गलत ही साबित हो. इसलिए बेहतर यही होगा कि ये फैसला भविष्य पर छोड़कर इसके आगमन का इन्तेजार शुभकामनाओं के साथ किया जाए. 

3 comments:

  1. Awesome...apka gyan prashansniy hai...carry on...

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  2. बलविंदर सिंह जी -
    आपका स्वागत है, ख़ुशी हुई जानकर कि आपको ये प्रयास पसंद आ रहा है. मैं हमेशा से चाहता हूँ कि इस ब्लॉग पर नियमित सामग्रियां उपलब्ध होती रहे, परन्तु पता नहीं क्यों? हमेशा एक लम्बा अंतराल आ ही जाता है.

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  3. http://panchopoetry.blogspot.in/2016/04/blog-post_22.html

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