Saturday, May 23, 2015

लाल ग्रह मंगल (Mars -The Red Planet)

सौर-परिवार के किसी सदस्य ने अगर वैज्ञानिकों और खगोल-वेत्ताओं के साथ सामान्य जन से लेकर फिल्म, टेलीविज़न, पुस्तकों और चित्रकथाओं
से जुड़े रचनात्मक मन को सबसे ज्यादा रोमांचित किया है, तो वह है हमारा पडोसी ग्रह – मंगल जिसे उसके लाल रंग के कारण ‘लाल-ग्रह’ के नाम से भी जाना जाता है. मंगल ग्रह को अनेकों शताब्दियों से जाना जाता रहा है. रात्रि आकाश में इसे नग्न आखों से भी देखा जा सकता है जो एक चमकते सितारे की तरह दिखाई देता है. लोवेल द्वारा मार्स पर देखी नहरें हों, या मार्स पर नजर आने वाली रहस्यमय चेहरे जैसी आकृति जो फेस ऑन द मार्स के नाम से प्रसिद्ध हो, या उड़न-तश्तरियों की कहानियाँ हों, सबने इस रहस्यमय ग्रह को और भी रहस्यमय बना दिया है.

सूर्य से दूरी के क्रम में चौथा और आकर में सांतवा बड़ा ग्रह मंगल सदा से कौतुहल का विषय रहा है. मंगल ग्रह को अनेकों शताब्दियों से जाना जाता रहा है. रात्रि आकाश में इसे नग्न आखों से भी देखा जा सकता है जो एक चमकते सितारे की तरह दिखाई देता है. वैज्ञानिक इसे पृथ्वी का जुड़वा ग्रह भी मानते हैं. उनके अनुसार इन दो ग्रहों का निर्माण संभवतः साथ ही हुआ था परन्तु पृथ्वी पर जीवन के लायक वातावरण निर्मित हुआ और जीवन की शुरुआत हुयी, वहीँ मंगल का वातावरण कालांतर में जीवन के प्रतिकूल हो गया. लेकिन फिर भी वैज्ञानिकों को आशा है कि मंगल में आज भी जीवन किसी-न-किसी रूप में विद्यमान है इसलिए दशकों से वैज्ञानिक इस ग्रह पर जीवन की संभावनाओं के प्रमाण खोज रहे हैं.

मंगल ग्रह का नाम रोमन मिथकों में युद्ध के देवता मार्स पर रखा गया है. मार्स रोमन मिथकों में कृषि का संरक्षक देवता भी है. यूनान में इसे एरिस के नाम से जाना जाता है जो भी युद्ध का देवता है. मंगल ग्रह पर  आयरन ऑक्साइड की अधिकता के कारण यह लालपन लिया हुआ दिखाई देता है, इसलिए इसका एक और नाम लाल-ग्रह (The Red Planet) भी पड़ा है.

आकार में मगल पृथ्वी से छोटा है और सौरमंडल में केवल बुध (Mercury) ग्रह ही उससे छोटा है. परन्तु मंगल पर विस्तृत जलमंडल ना होने की वजह से वहाँ का स्थलमंडल (जमीनी भाग) लगभग पृथ्वी के बराबर है. जलमंडल के सम्बन्ध में वैज्ञानिकों को पूरा यकीन था कि मंगल में बहता जल और समुद्र होंगे. 1965 में मेरीनर-4 के रूप में मंगल के पहले सफल अभियान में जब यह अन्तरिक्ष यान मंगल के नजदीक पंहुचा तब इसके द्वारा एकत्रित आकड़ों में जल की उपलब्धता के सबूत तो नहीं मिले पर इस बात के पर्याप्त प्रमाण मिले थे कि अपने जीवन के शुरूआती समय में इसमें पर्याप्त मात्रा में जल था होगा. यह बात जहां वैज्ञानिकों को निराश कर गयी, वहीँ एक उम्मीद भी जगा गयी कि शायद मंगल में सतह के नीचे पानी हो और इस जल और संभावित जीवन की खोज में इसके पश्चात अनेक अभियान मंगल के अध्ययन के उद्देश्य से छोड़े गए, जो आज भी लगातार जारी है.

मंगल के प्रति विज्ञान-जगत की दीवानगी का आलम इस बात से भी पता किया जा सकता है कि अभी तक के किसी भी ग्रह के आधार पर सर्वाधिक अभियान मंगल को ध्यान में रख कर किये गए हैं और वर्तमान में एक या दो नहीं वरन पुरे सात अन्तरिक्ष यान मंगल के अध्ययन में सक्रीय हैं. इनमे से पांच 2001 मार्स ओडिसी (2001 Mars Odyssey), मार्स एक्सप्रेस ( Mars Express), मार्स रिकोनासांस ऑर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter), मेवन (MAVEN) and मंगलयान या मार्स मिशन ऑर्बिटर (Mars Orbiter Mission) इसकी परिक्रमा कर रहे हिं और दो इसकी सतह पर कार्यरत हैं – मार्स एक्स्प्लोरर रोवर अपोर्च्यूनिटी (Mars Exploration Rover Opportunity) और मार्स साइंस लेबोरेटरी क्यूरोसिटी (and the Mars Science Laboratory Curiosity)
मंगल ग्रह पर लेख अभी जारी है...जल्द ही आगे का लेख उपलब्ध होगा...

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