मरकरी) सौर मंडल का सबसे छोटा तथा सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है. बुध अपनी कक्षा में सूर्य की एक परिक्रमा ८८ पृथ्वी दिनों में पूरी करता है जो किसी भी ग्रह की तुलना में सबसे तेज है . शायद इसी तेज गति के कारण ही इसका नाम रोमन देवताओं के संदेशवाहक मरकरी के नाम पर रखा गया.
प्राचीन अन्वेषकों को बुध ग्रह का पता ईसा से तीन सताब्दी पूर्व ही चल गया था. कभी इसे सुबह का तारा तो कभी सांध्य तारे के नाम से जाना जाता रहा है.
बुध एक उपग्रह विहीन गृह है . बुध के पास लगभग नहीं के बराबर वातावरण है जिसके कारण बुध की सतह अविश्वश्नीय रूप में तापमान के उतार – चढ़ाव को सहती है. दिन में जहां तापमान to700 K (427 °C; 800 °F) तक रहता है वहीँ रात को तापमान 100 K (−173 °C; −280 °F) तक उतर जाता है. . ध्रुवों पर तापमान लगभग सामान रूप से 180 K (−93 °C; −136 °F) से थोडा नीचे बना रहता है . बुध की सतह गहरे गड्ढों से भरी हुयी है जो सैकड़ों किलीमीटर लम्बे और लगभग तीन किलोमीटर तक गहरे हैं. इनकी वजह से बुध की धरती हमारे चन्द्रमा की सतह सी लगती है. ये क्रेटर इस बात के सबूत हैं की बुध की सतह करोड़ों सालों से निष्क्रिय है.
मेरीनर १० - बुध का अध्ययन करते हुए |
बुध की बारे में तथ्य परक जानकारी हेतु अभी तक दो स्पेस मिशन भेजे जा चुके हैं – मेरिनर १० और मैसेंजर. मेरीनर १०, १९७४ तथा १९७५ के दौरान तीन बार बुध की यात्रा कर चूका है तथा मैसेंजर २००४ में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा प्रक्षेपित किया गया था. इन यानों की बदौलत अभी तक बुध के लगभग ४५% भाग के नक्शा तैयार किया जा चुका है. भविष्य में नए मिशंस की बदौलत इस अद्भुत गृह के और रहस्यों पर से पर्दा उठेगा, पर शायद इसके लिए लम्बा इंतज़ार करना होगा क्योंकि अंतरिक्ष संस्थाओं का लक्ष्य अभी मंगल ग्रह है जहां जीवन की संभावनाएं तलाशी जा रही है.
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