Wednesday, August 28, 2013

एमाल्थिया (Amalthea) - बृहस्पति का तीसरा आतंरिक उपग्रह

एमाल्थिया - गैलिलियो स्पेस क्राफ्ट द्वारा चित्र
एमाल्थिया दूरी के हिसाब से बृहस्पति का तीसरा उपग्रह है. इसकी खोज 9 सितम्बर 1892 को एडवर्ड एमर्सन बर्नार्ड के द्वारा  रेफ्रेक्टर टेलिस्कोप से लिक वेधशाला में की गयी थी. यह वो आखिरी उपग्रह था जिसे सीधे तौर पर निरिक्षण के माध्यम से खोजा गया था. इसके पश्चात खोजे गए समस्त उपग्रह विभिन्न अंतरिक्ष प्रोब या यानों से प्राप्त चित्रों के माध्यम से खोजे गए हैं. साथ ही यह गैलिलियो के द्वारा खोजे गए चारों बड़े उपग्रहों के बाद खोजा गया बृहस्पति का पहला उपग्रह था. इसका नाम ग्रीक पौराणिक गाथाओं की परी एमाल्थिया के नाम पर किया गया जिसने देवताओं के राजा ज़ीउस (रोमन में जुपिटर) की शिशु अवस्था में देखभाल की थी.  इसे जुपिटर V के नाम से भी जाना जाता है. वैसे इसे इसका नाम आधिकारिक रूप से 1975 में ही मिल पाया परन्तु दशकों पूर्व से इसे इसी नाम से जाना जाता रहा था.

एमाल्थिया बहुत पास से अपने ग्रह की परिक्रमा करती है तथा एमाल्थिया गोसमेर वलय के बाहरी किनारे पर स्थित है, जो कि इसकी धरातल से मुक्त धूल-कणों से बनी है. एमाल्थिया बृहस्पति के आतंरिक चारों उपग्रहों में सबसे बड़ा है. इसकी आकृति अनियमित है तथा यह लाल रंग लिए हुए है. इसके बारे में ऐसा माना जाता है कि शायद यह सूक्ष्म रंध्र से निष्काषित पानी के बर्फ और अन्य अज्ञात पदार्थों से बना है. इसकी धरातलीय संरचना में बड़े बड़े कक्रेटर और पर्वत दृष्टिगत होते हैं.

एमाल्थिया के सबसे पहले चित्र 1979 और 1980 में क्रमशः वायेजर 1 और वायेजर 2 द्वारा लिए गए थे. बाद में 1990 के दशक में गैलिलियो ने इसके विस्तृत चित्र लिए थे जिससे इस उपग्रह के बारे में काफी जानकारियाँ प्राप्त हुयी.
एमाल्थिया बृहस्पति कि परिक्रमा 181,000 किलोमीटर की दूरी से करती है. इसका परिक्रमा पथ थोडा झुका हुआ है. सामान्यतः आतंरिक उपग्रहों में इस तरह का झुकाव नहीं होता है शायद इसका कारण आयो हो सकता है जो बृहस्पति का उपग्रह है.

एमाल्थिया का लाल रंग संभवतः आयो से निकली वाली सल्फर के कारण या किसी अज्ञात पदार्थ के कारण माना जाता है. कहीं कहीं हरे रंग की चकती नजर आती है परन्तु कारण अज्ञात ही है. बाकी आतंरिक चंद्रमाओं की तुलना में इसकी सतह ज्यादा चमकीली है परन्तु आकृति की तरह यह चमक भी अनियमित है. 

साथ ही यह बृहस्पति की एक परिक्रमा अपने ग्रह के एक दिन से भी कम समय में कर लेता है. ऐसा करने वाला एकमात्र दूसरा उपग्रह अद्रास्टिया है. इसका परिक्रमा पथ जुपिटर के मुख्य वलय के अन्दर स्थित है इसलिए इसे वलयों के पदार्श के प्रमुख स्त्रोत के रूप में भी देखा जाता है जो कि शायद उल्कापिंडों के टकराव के कारण इससे अलग हुए हों.

यह  ग्रह बृहस्पति से ज्वारीय रूप से बंधा हुआ है और इसके आकार में विषमता भी है.आकार में विषमता लिए इस  उपग्रह का आकार 250 × 146 × 128 है. इसकी धरातली क्रेटर यानी गड्ढों से भरी हुयी है और यह लाल रंग का नजर आता है. जैसा की पूर्व में कहा गया है इसके गोलार्ध अत्यधिक विषमता लिए हुए हैं इसका कारण संभवतः इसके गोलार्ध पर टकराव की तीव्रता और संख्या है जिसके कारण शायद इसके आतंरिक भाग से काफी सामग्री  इसके उभार वाले हिस्से पर निकल आई है.  पैन (Pan) नामक क्रेटर इस उपग्रह का सबसे बड़ा क्रेटर है जो की 100 किलोमीटर लम्बा तथा 8 किलोमीटर गहरा है जो की इसी नाम के ग्रीक देवता पर रखा गया है.  एक दूसरा बड़ा क्रेटर गेया (Gaea)जो कि ग्रीक देवी के नाम पर रखा गया है , लगभग 80 कि.मी. लम्बा तथा पैन से दोगुना गहरा है. यहाँ दो बड़े पर्वत भी मैं – मोन्स लायक्टस और मोन्स आइडा.  एमाल्थिया के बारे में एक विशेष बात यह भी है कि यह सूर्य से प्राप्त ऊर्जा  से कहीं ज्यादा ऊर्जा विकरित करती है

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