Thursday, November 7, 2013

धरती पर गिरेगा एक टन वजनी GOCE यूरोपियन उपग्रह

GOCE - European Space Agency
करीब एक टन वजनी GOCE नामक यूरोपियन सैटेलाइट अनियंत्रित रूप से धरती की ओर खींचा चला आ रहा है. इसकी टक्कर का निश्चित समय और स्थान का सटीक अनुमान नहीं है परन्तु इसके इस सप्ताह या अधिकतम अगले हफ्ते तक धरती से टकरा जाने की सम्भावना है. इस सम्बन्ध में एक सुखद बात यह है कि यह शायद 24 से 25 टुकड़ों में टूटकर पृथ्वी पर गिरेगा, जिससे बहुत अधिक क्षति की आशंका कम है. इस भारी-भरकम उपग्रह के धरती पर गिरने को लेकर पूरे विश्व में डर मिश्रित कौतुहल है परन्तु विशेषज्ञों के अनुसार चिंता करने जैसी कोई बात नहीं है. 

इस उपग्रह का नाम हैं GOCE (ग्रेविटी फील्ड एंड स्टेडी-स्टेट ओसियन सर्कुलर एक्स्प्लोरर), जो 2009 में यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के द्वारा धरती के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र की सूक्ष्मता के साथ मापन के उद्देश्य से स्थापित किया गया था. इस उद्द्देश्य की पूर्ति के लिए यह केवल 280 किलोमीटर की निचली कक्षा में स्थापित था. अब जब इसका ईंधन ख़त्म हो चूका है तो धरती के गुरुत्वाकर्षण से सुरक्षित बचने का कोई रास्ता नहीं है और अनियंत्रित रूप से धरती से टकराव ही इस मिशन का अंत है. यह बात वैज्ञानिकों को भी पता थी परन्तु चूँकि धरती से सैकड़ो उल्कायें टकराती रहती हैं इसलिए इसे लेकर उन्होंने कोई तैयारी नहीं की थी क्योंकि इसका टकराव भी अन्य उल्का टकराव जैसा ही (कुछ अपवादों को छोड़कर) हानिरहित होगा.

अध्ययन का अनुसार धरती पर रोज 101 से 214 टन तक उल्काएं पहुचती है, उनके अनुपात में तो ये उपग्रह बहुत ही अल्प वजन का है और इसलिए इससे कोई खतरा होता नहीं दिखता. फिर भी अंतरिक्ष सम्बन्धी अंतर राष्ट्रीय मानक और समझौते अब ऐसे अनियंत्रित अंत को लेकर नाराज हैं और भविष्य के उपग्रहों में ऐसे इंजन लगाये जायेंगे जो धरती के क्षेत्र में पुनः प्रवेश की स्थिति में इसे सीधे महासागर या समुद्रों को लक्ष्य कर उनमें गिरने हेतु निर्देशित करें.

GOCE वर्त्तमान में 4 किलोमीटर प्रति दिन के हिसाब से गिर रहा है और जैसे ही यह पृथ्वी के वातावरण में दाखिल होगा इसके गिरने की रफ़्तार बढ़ जाएगा. एसा के अनुसार यह इसी रविवार (10 नवम्बर) या सोमवार (11 नवम्बर) तक पृथ्वी के धरातल से टकरा जाएगा.

2 comments:

  1. asha karta hun ki india pe na gire.....:)

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  2. धीरज भाई - कहीं भी गिरे, जीवन क्षेत्र में ना गिरे. वैसे क्षति की सम्भावना तो नहीं है परन्तु दुर्घटनाओं का क्या भरोसा.!!!

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